० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली - राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में देश-विदेश की विभूतियों को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हाल में आयोजित भव्य समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाली हस्तियों को सम्मानित किया गया। पिछले वर्ष कोरोना महामारी के चलते पद्म पुरस्कारों के वितरण का आयोजन नहीं हो पाया था जिसके चलते इस बार दो वर्षों के पुरस्कार दिए गए हैं। वर्ष 2020 के लिए 141 लोगों को पद्म पुरस्कार दिए गए. जबकि 2021 के लिए 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
उत्तराखंड की पांच प्रमुख हस्तियों को पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वर्ष 2020 के लिए उत्तराखंड निवासी हैस्को प्रमुख पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी को प्रदूषण, जबकि पर्यावरणविद कल्याण सिंह और डॉ. योगी एरन को पद्श्री सम्मान देकर सम्मानित किया। जबकि वर्ष 2021 के लिए आज यानी मंगलवार को चिकित्सा क्षेत्र में डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह और प्रगतिशील किसान प्रेम चंद शर्मा को पद्श्री सम्मान देकर सम्मानित किया जाएगा।
डॉ. अनिल प्रकाश जोशी हैस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी को पर्यावरण पारिस्थितिकी और ग्राम्य विकास से जुड़े मुद्दों और नदियों को बचाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत र्यावरण संरक्षण की दिशा में वर्षों से काम कर रहे कल्याण सिंह रावत ने उत्तराखंड में मैती आंदोलन के जरिये पर्यारण संरक्षण की दिशा में एक अनूठी परंपरा को जन्म दिया, जिसकी चर्चा आज विश्वभर में होती है। मैती आंदोलन के तहत गांव में जब किसी लड़की की शादी होती है तो विदाई के समय दूल्हा-दुल्हन को एक फलदार पौधा दिया जाता है। वैदिक मंत्रों के के साथ दूल्हा इस पौधे को रोपित करता है और दुल्हन इसे पानी से सींचती है। पेड़ को लगाने के एवज में दूल्हे की ओर से दुल्हन की सहेलियों को कुछ पैसे दिए जाते हैं। जिसका उपयोग पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में और समाज के निर्धन बच्चों के पठन-पाठन में किया जाता है। दुल्हन की सहेलियों को मैती बहन कहा जाता है। जो भविष्य में उस पेड़ की देखभाल करती हैं। पर्यावरण से जुड़े मैती आंदोलन की शुरुआत कल्याण सिंह रावत ने वर्ष 1994 में चमोली जिले के राइंका ग्वालदम में जीव विज्ञान के प्रवक्ता पद पर रहते हुए की थी।
प्लास्टिक सर्जन डॉ. योगी ऐरोन उत्तराखंड के देहरादून निवासी 84 साल के प्लास्टिक सर्जन डा. ऐरोन ने चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने न सिर्फ अपना अहम योगदान दिया है बल्कि आर्थिक रूप से कमजोरों के लिए देवदूत बने। वे पिछले करीब 15 सालों से मानवता की सेवा में लगे हुए हैं। उनकी इस सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। योगी ऐरन ने हजारों चेहरों की मुस्कान लौटाई है। पहाड़ी इलाकों में अक्सर जंगल की आग और जानवरों के हमले में लोग घायल होते हैं। इसमें कुछ का चेहरा बिगड़ जाता है तो कई का शरीर विकृत हो जाता है। तब प्लास्टिक सर्जरी ही एकमात्र उपाय होता है, जिसके जरिये पीड़ित व्यक्ति नई जिंदगी पा सकता है। पर, पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले ग्रामीणजन आर्थिक तौर पर इतने सक्षम नहीं होते कि वे किसी अच्छे प्लास्टिक सर्जन के पास पहुंचे। ऐसे में डा. ऐरन उनके लिए देवदूत से कम नहीं।
डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए उत्तराखंड के डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को मंगलवार को देश के प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार “पद्मश्री” से सम्मानित किया जायेगा। देहरादून निवासी डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय को चिकित्सा जगत में उनकी 40 साल की सेवा का इनाम मिला है। डॉ. संजय का नाम चिकित्सा जगत में बेहद सम्मान के साथ लिया जाता है। डॉ. संजय के नाम पर कई उपलब्धियां और पुरस्कार हैं। 2005 में हड्डी का सबसे बड़ा ट्यूमर निकालने का विश्व रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हुआ। इसके अलावा 2002, 2003, 2004 व 2009 में सर्जरी में कई अभिनव उपलब्धियों के लिए उन्हें लिम्का बुक में स्थान मिला।
प्रगतिशील किसान प्रेम चंद शर्मा कृषि क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उत्तराखंड की एक और शख्सियत प्रेम चंद शर्मा को भी मंगलवार को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जायेगा। विकासखंड चकराता के अटाल गांव के रहने वाले प्रेमचंद शर्मा पहाड़ में अनार की खेती में अभिनव प्रयोग के लिए विख्यात हैं। 63 वर्षीय किसान प्रेमचंद परंपरागत खेती बाड़ी के साथी कृषि विविधीकरण पर काम कर रहे हैं। पद्म पुरस्कार से पहले प्रेम चंद को राष्ट्रीय कृषक सम्राट सम्मान भी मिल चुका है। प्रेमचंद शर्मा ने अनार के अलावा सेब, नाशपाती, टमाटर, गोभी, शिमला मिर्च आदि की खेती में भी उत्कृष्ट कार्य किया है।
पहली बार दो बांग्लादेशी हस्तियों को भी पद्म पुरस्कार पहली बार बांग्लादेश की दो शख्सियतों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। इनमें भारत में पूर्व उच्चायुक्त मुअज्जम अली और 1971 युद्ध के नायक कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर शामिल हैं। सैयद मुअज्जम अली को साल 2020 के लिए भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया
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