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गंगा मशाल जनता को जागरूक करने के लिए गंगा नदी के किनारे स्थित 23 स्टेशनों से गुजरेगी

० संवाददाता द्वारा ० 

गंगा नदी को 'राष्ट्रीय नदी' के रूप में घोषित करने की वर्षगांठ (यानी 4 नवंबर) पर स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) हर साल गंगा उत्सव मनाता है। उत्सव (त्योहार) का उद्देश्य हितधारकों के जुड़ाव को बढ़ावा देना और स्वच्छ गंगा के लिए सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित करना है।

नयी दिल्ली - "गंगा मशाल" ने औपचारिक रूप से उत्तराखंड के ऋषिकेश और हरिद्वार से अपनी यात्रा शुरू कर दी है। गंगा मशाल गंगा नदी के किनारे स्थित कुल 23 स्टेशनों से होकर गुजरेगी, जो स्थानीय लोगों और नमामि गंगे के स्वयंसेवकों को जागरूक करने में मदद करेगी। जिला प्रशासन के साथ-साथ गंगा विचार मंच, गंगा दूत (एनवाईकेएस), गंगा प्रहरी, गंगा मित्र जैसे संगठनों के स्वयंसेवक भी पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक गंगा मशाल ले जा रहे गंगा कार्य बल (जीटीएफ) के बहादुर जवानों की मदद करेंगे।

गंगा मशाल को केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री  गजेंद्र सिंह शेखावत, जल मंत्रालय में सचिव पंकज कुमार, एनएमसीजी के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने नई दिल्ली से गंगा उत्सव को झंडी दिखाई।

ऋषिकेश में गंगा मशाल का त्रिवेणी घाट पर उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनीता ममगई ने स्वागत किया। इसके बाद दीप प्रज्ज्वलित किया गया, फिर सरस्वती वंदना, स्वच्छता पर आधारित नुक्कड़ नाटक और गंगा आरती की गई। इसके अलावा राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के युवाओं और स्कूली बच्चों द्वारा कई अन्य सांस्कृतिक प्रदर्शन किए गए। गंगा मशाल का नेतृत्व कर्नल रोहित श्रीवास्तव, मेजर एल एन जोशी, सूबेदार ललित मोहन, सूबेदार शैलेंद्र और जिला गंगा समिति के नोडल अधिकारी सुनील डोबल ने किया। वहीं, हरिद्वार में गंगा मशाल का स्वागत भारतीय वन्यजीव संस्थान और वैपकोस (डब्ल्यूएपीसीओएस) द्वारा किया गया।

यह उत्सव गंगा संरक्षण में "जन भागीदारी" के महत्व पर प्रकाश डालता है। इसमें गंगा नदी के संरक्षण के लिए सभी हितधारकों के जुड़ाव और जन भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। गंगा उत्सव के माध्यम से एनएमसीजी का उद्देश्य जनता और नदी के बीच परस्पर संबध को मजबूत करना है। पिछले चार वर्षों से यह आयोजन सभी वर्ग के लोगों के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम कर रहा है।

'गंगा उत्सव 2021 - द रिवर फेस्टिवल' का 5वां संस्करण नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इसमें गंगा संवाद, कहानी जंक्शन, प्रत्यक्ष पेंटिंग, फोटो प्रदर्शनियों आदि जैसी कई दिलचस्प गतिविधियां आयोजित की गईं। इस कार्यक्रम के दौरान कंटीन्यूअस एक्टिविटी एंड लर्निंग पोर्टल (सीएलएपी), गंगा नॉलेज पोर्टल आदि जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किए गए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के 'नदी उत्सव' यानी नदियों का जश्न मनाने के आह्वान से प्रेरणा लेते हुए शुरू किए गए इस उत्सव का उद्देश्य न केवल गंगा नदी का जश्न मनाना था बल्कि देश की सभी नदियों का जश्न मनाना था। अब तक 150 से अधिक जिलों ने नदी उत्सवों का आयोजन किया है, और आने वाले दिनों में कई और जिले भी ऐसा करेंगे। यह समारोह अभी चल रहे आज़ादी का अमृत महोत्सव अभियान का भी हिस्सा है।

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