जयपुर - मौलाना कलीम सिद्दीक़ी को यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए जाने की खबर देश के सभी न्यायप्रिय नागरिकों के लिए चिंता का विषय है। जमाअत इस्लामी हिन्द के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद नाज़िमुद्दीन ने अपने बयान में मांग की कि मौलाना पर लगे कथित आरोपों को बिना शर्त वापस लिया जाए, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए और उनके साथ न्याय किया जाए।
मौलाना कलीम सिद्दीक़ी न केवल मुसलमानों के बीच बल्कि गैर-मुस्लिम समाज में भी एक सम्मानित व्यक्ति हैं। उनकी गिरफ्तारी से आबादी के एक बड़े हिस्से में बेचैनी फैल गई है। गिरफ़्तारी ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने सरकार के इस क़दम को यूपी में आगामी चुनावों के संदर्भ में हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य को बढ़ावा देने का एक निंदनीय प्रयास बताया।
उन्होंने कहा कि हम सरकार और पुलिस को यह याद दिलाना चाहते हैं कि हमारे देश में धर्म और आस्था पर अमल करना और उसका प्रचार करना हर नागरिक का बुनियादी, मानवीय और संवैधानिक अधिकार है। उसी तरह, हमारे संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अंतःकरण की स्वतंत्रता का अधिकार दिया है, कि वह जिस भी विचारधारा या आस्था को पसंद करता है उसे अपनाए। इन स्वतंत्रताओं को कम करने या प्रतिबंधित करने का कोई भी प्रयास एक अमानवीय और असंवैधानिक प्रयास होगा और इन अपवित्र प्रयासों का विरोध करना देश के सभी न्यायप्रिय नागरिकों की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि बल या लालच से किसी के विश्वास को बदलना न केवल इस्लाम की शिक्षाओं के ख़िलाफ है, बल्कि इसकी मूल अवधारणाओं के भी ख़िलाफ है।
इस्लाम का कोई भी जानकार ऐसा नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यों के लिए पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग देश के भविष्य के लिए बेहद ख़तरनाक है। ऐसा लगता है कि यूपी सरकार के पास अपना प्रदर्शन पेश करने के लिए सकारात्मक रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए वह लगातार सांप्रदायिक विभाजन और तनाव पैदा करने वाले क़दम उठा रही है। समाज में नफ़रत फैलाकर राजनीतिक सत्ता हासिल करने या उसे बनाए रखने के प्रयास पूरे राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए हानिकारक हैं।
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