जयपुर, जल शक्ति मंत्रालय के “कैच द रैन” अभियान के तहत वर्षा जल संचयन पर वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार में बड़ी संख्या में राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पत्र सूचना कार्यालय, जयपुर (रीज़न) की अपर महानिदेशक डॉ. प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने बताया कि राजस्थान में वर्षा संचयन की एक समृद्ध परंपरा रही है। इसे हमें आगे भी इसी तरह बढ़ाना चाहिए ताकि वर्षा जल संकट का सामना ना करना पड़े। डॉ. गौड़ ने कहा कि वर्षा की एक-एक बूँद बेहद महत्वपूर्ण है। यह कार्यक्रम पत्र सूचना कार्यालय जयपुर द्वाराआयोजित किया गया।
वेबीनार के मुख्य वक्ता केंद्रीय भू-जल बोर्ड के क्षेत्रीय निदेशक (पश्चिमी क्षेत्र) डॉ. एस. के. जैन ने अपने सम्बोधन में भू-जल संरक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। साथ ही उन्होने जयपुर स्थित केंद्रीय भू-जल बोर्ड के कार्यालय में स्थापित वर्षा जल संचयन पद्धति को विडियो द्वारा समझाया और सभी से घर का पानी घर में, ऑफिस का पानी ऑफिस और खेत का पानी खेत में संजोने की अपील की। उन्होने बताया कि बच्चों और लोगों में वर्षा जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यशालाओं का आयोजन भी विभाग द्वारा समय- समय पर किया जाता है।
इसके अलावा वेबीनार के दूसरे मुख्य वक्ता अटल भू-जल योजना के नोडल अधिकारी डॉ. वी.एन.भावे ने राजस्थान में भू-जल स्तर की स्थिति और राज्य सरकार के संरक्षण प्रयासों पर विस्तृत प्रेजेंटेशन दी। उन्होने बताया कि प्रदेश में भू जल दोहन जो वर्ष 1984 में मात्र 35% था वह वर्ष 2017 में बढ़कर 140% हो गया है, जो काफी चिंताजनक है। उन्होने एक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि राज्य के सभी जिलों में भू-जल विभाग के कार्यालय हैं, आमजन यहाँ से जल संचयन के जुड़ी सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
वेबीनार में राजस्थान के विभिन्न अंचलों से करीब 350 लोगों ने भाग लिया और विशेषज्ञों से प्रश्न भी पूछे। कार्यक्रम का संचालन पत्र सूचना कार्यालय की उपनिदेशक सुश्री मंजू मीना ने किया और अंत में सभी प्रतिभागियों और अतिथियों को धन्यवाद ज्ञपित किया।
इसके अलावा वेबीनार के दूसरे मुख्य वक्ता अटल भू-जल योजना के नोडल अधिकारी डॉ. वी.एन.भावे ने राजस्थान में भू-जल स्तर की स्थिति और राज्य सरकार के संरक्षण प्रयासों पर विस्तृत प्रेजेंटेशन दी। उन्होने बताया कि प्रदेश में भू जल दोहन जो वर्ष 1984 में मात्र 35% था वह वर्ष 2017 में बढ़कर 140% हो गया है, जो काफी चिंताजनक है। उन्होने एक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि राज्य के सभी जिलों में भू-जल विभाग के कार्यालय हैं, आमजन यहाँ से जल संचयन के जुड़ी सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
वेबीनार में राजस्थान के विभिन्न अंचलों से करीब 350 लोगों ने भाग लिया और विशेषज्ञों से प्रश्न भी पूछे। कार्यक्रम का संचालन पत्र सूचना कार्यालय की उपनिदेशक सुश्री मंजू मीना ने किया और अंत में सभी प्रतिभागियों और अतिथियों को धन्यवाद ज्ञपित किया।
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