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‘समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार को दर्शाती और इंसानियत के धर्म का पाठ पढ़ाती कविताएं हैं’काव्य पुष्प’ कविता संग्रह में’

०संवाददाता द्वारा ० 

जयपुर - स्पंदन महिला साहित्यिक एवं शैक्षणिक संस्थान, जयपुर के तत्वावधान में लेखिका उमेश नाग के कविता संग्रह ‘काव्य पुष्प ‘ का लोकार्पण एवं कृति चर्चा का आयोजन ज़ूम एप पर किया गया। कृति का लोकार्पण ,कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम , मुख्य अतिथि डॉ. अखिल शुक्ला, अध्यक्ष हिन्दी प्रचार प्रसार समिति जयपुर,स्पंदन अध्यक्ष नीलिमा टिक्कू , शिक्षाविद एवं वरिष्ठ साहित्यकार सुरेखा शर्मा, साहित्यकार डॉ. जयश्री शर्मा ,प्रो. कुसुम शर्मा ने किया।

स्पंदन अध्यक्ष नीलिमा टिक्कू ने मंचस्थ अतिथियों का स्वागत करते हुए,श्रीमती उमेश नाग का परिचय देते हुए बताया कि उमेश जी आजीवन निःस्वार्थ रूप से समाज सेवा के कार्य करती रहीं हैं।अपने प्रथम कविता संग्रह ,’काव्य पुष्प ‘ कविता संग्रह में सरल ह्रदय उमेश जी की 96 कविताएं आधुनिकता की चकाचौंध -आपाधापी में घिरे मानव को आत्ममंथन करने पर पर मजबूर करती हुई सुखी जीवन जीने का मंत्र देती हैं। संग्रह की कविताएं बेटियों की महत्ता,नैतिकता और मानव मूल्यों का दस्तावेज बन कर उभरी हैं।भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता के वातावरण से आहत लेखिका की मार्मिक कविताएं मानसिक-पर्यावर्णीय प्रदूषण की सारगर्भित कविताएं हैं ।
प्रो. कुसुम शर्मा ने कहा कि भारत को विश्वगुरु कहा जाता है लेकिन आज मनुष्य दिशा भ्रमित हो रहा है| पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही फैलते सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक प्रदूषण को हटाकर स्वस्थ वातावरण का निर्माण करना एक साहित्यकार का दायित्व है जिसे उमेश जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है लेखिका उमेश नाग ने कहा कि मैने अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक रूढ़ियों, बेटियों की गरिमा को बरकरार रखने भ्रष्टाचार के खात्में जैसे ज्वलन्त मुद्दों को पाठकों के सामने रख इंसानियत के धर्म को प्रमुखता से उकेरा है,उम्मीद है इससे समाज को एक नई दिशा ज़रूर मिलेगी।

डॉ.अखिल शुक्ला ने इन कविताओं को मानवता,देश प्रेम और राष्ट्र बंधुत्व की ईमानदारी से ओत-प्रोत कविता कहा।
डॉ. सुरेखा शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के साथ ही पर्यावरण , समाज से जुड़े प्रत्येक मुद्दे को उमेश जी ने अपनी कविताओं के माध्यम से उकेरा है यह संग्रह वर्तमान समय की माँग और पूर्ति है। डॉ. जयश्री शर्मा ने वर्तमान सामाजिक विसंगतियों पर सरल शब्दों में अपनी बात पहुँचाने का अनूठा संग्रह बताया।

डॉ. नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ ने कहा कि इस संग्रह की कविताओं में लेखिका ने एक सचेत नागरिक-संवेदनशील साहित्यकार का कर्तव्य बखूबी निभाया है इससे लेखिका के अपने आत्मचिंतन का पता चलता है, उनकी कविताएँ आम पाठक के दिल में उतरने में सक्षम हैं उन्हें बधाई। कार्यक्रम में युवा छात्रा पल्लवी माथुर ने संग्रह की कविता का वाचन किया। सरस्वती वंदना छात्रा इति शर्मा ने की। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. आशा शर्मा ने किया।
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