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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम विद्वान की पुस्तक "द मीटिंग ऑफ माइंड्स" का किया अनावरण

० संवाददाता द्वारा ० 

गाजियाबाद : भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, या भारत में इस्लाम खतरे में है। इस देश में रहनेवाले अल्पसंख्यकों को इस भ्रम एवं गलत अफवाह से भयभीत होने एवं बचने की जरूरत है। मेरा निजी मानना है कि इस देश में हिंदू और मुस्लिम दोनों का डीएनए एक ही है और दोनों एक हीं इकाई हैं। कोलकाता के ‘प्रभा खेतान फाउंडेशन’ एवं ‘श्री सीमेंट’ के संयुक्त तत्वाधान में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सहयोग से रविवार को गाजियाबाद में आयोजित ‘किताब’ मंच पर पुस्तक के अनावरण मौके पर डॉ. मोहन राव भागवत (सरसंघचालक, आरएसएस) ने यह बातें कहीं। उन्होंने डॉ. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पुस्तक ‘द मीटिंग ऑफ माइंड्स: ए ब्रिजिंग इनिशिएटिव’ का अनावरण किया।

डॉ. भागवत ने कहा: जब लोग हिंदू-मुस्लिम एकता की आवश्यकता के बारे में हमे बोलते हैं, तो हम उन्हें कहते हैं कि हम तो पहले से ही एक हैं, हम अलग कहां हैं।

इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया था, जिसमें दुनिया भर के प्रमुख प्रोफेसर, विद्वान, छात्र और प्रतिष्ठित हस्तियां शामिल हुए थे। लेखक डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद, जो श्रद्धेय विद्वान, दार्शनिक और अकादमिक भी हैं। उन्ह‍ोंने कहा कि, यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि बुद्धिजीवी एक बिंदु पर ही हमेशा मिलते हैं। इस पुस्तक को लिखने में मुझे ग्यारह महीने लगे, मेरी यह पुस्तक अर्थशास्त्र, राजनीति, भावनात्मक और कई अन्य पहलुओं का एक ईमानदार निचोड़ है, जो कल के भारत का भाग्य और हमारे देश के राष्ट्रीय हित को निर्धारित करेगा। हमें वार्ता की जरूरत है गतिरोध की नहीं, हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विश्वास और भाईचारा होना चाहिए और हम मिलकर भारत को 'विश्व गुरु' बनाने में सक्षम हैं, और हम इस देश को विश्वगुरु बनाकर रहेंगे। उनकी यह पुस्तक अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू भाषा में उपलब्ध है।

डॉ ख्वाजा ने कहा, ईमानदारी, अखंडता और विश्वसनीयता किसी भी रिश्ते की पहचान होती है। यही हमारे भविष्य की सभी कार्यों का पहल और मार्गदर्शन करेंगी। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि आज की धर्मनिरपेक्ष राजनीति ने हमें मृतप्राय के समान कर दिया है। अगर हमारे बीच कोई संगठन नहीं है, तो कोई विचारधारा नहीं है, यदि कोई विचारधारा नहीं है, तो कोई विचारक नहीं है, यदि कोई विचारक नहीं है, तो कोई दिशा नहीं है।

ख्वाजा ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा, हम भाग्यशाली हैं कि हमें अब तक के सबसे निर्णायक प्रधानमंत्री में से एक मिला है।

वहीं इस सत्र मौके पर डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि, राजनीतिक दल लोगों को एकजुट करने या विभाजन को गहरा करने में मदद करने के लिए उपकरण के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं, लेकिन इसे प्रभावित कर सकते हैं। भारत में बहुसंख्यकवादी भावना के जोर पकड़ने की आशंका को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि, जब अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता हैं, तो देखा जाता है कि इसके विरोध की आवाज बहुसंख्यकों से ही उठती है। अगर कोई कहता है कि मुसलमानों को भारत में नहीं रहना चाहिए तो वह हिंदू नहीं है।

 भागवत ने कथित गोरक्षकों द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि, हालांकि भारत में गायों का सम्मान किया जाता है, लेकिन गोरक्षा के नाम पर हिंसा को माफ नहीं किया जा सकता है। कानून को अपना काम करना चाहिए। उन्हें बिना पक्षपात के जांच कर दोषियों को सजा देनी चाहिए। जो भी लिंचिंग में शामिल है वह हिंदू नहीं हैं।

‘किताब’ मंच प्रभा खेतान फाउंडेशन की एक पहल है जो बुद्धिजीवियों, पुस्तक प्रेमियों और साहित्यकारों को लेखकों से जोड़कर पुस्तक विमोचन के लिए एक मंच प्रदान करती है। शशि थरूर, विक्रम संपत, सलमान खुर्शीद, कुणाल बसु, वीर सांघवी, विकास झा, ल्यूक कुटिन्हो, जेफरी आर्चर, देवदत्त पटनायक, अनुपम खेर, राम माधव, गुरु प्रकाश पासवान, संजय बरुआ और अन्य प्रख्यात लेखक किताब मंच पर अपने पुस्तकों की लॉन्चिंग कर चुके हैं।
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