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आजादी के आंदोलन के योद्‍धा ओंकार नाथ खरे की 96 वीं जयंती पर अंतर्राज्यीय कॉल कॉन्फ्रेंसिंग



आशा पटेल ० 

रीवा - विंध्य क्षेत्र के प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ओंकार नाथ खरे की 96 वीं जयंती के अवसर पर विचारोत्तेजक अंतर्राज्यीय कॉल कॉन्फ्रेंसिंग संपन्न हुई . कार्यक्रम की अध्यक्षता संपूर्ण क्रांति आंदोलन के वरिष्ठ नेता अख्तर हुसैन रांची (झारखंड) ने की . कार्यक्रम में 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में स्वर्गीय ओंकार नाथ खरे की क्रांतिकारी भूमिका को विशेष रूप से याद किया गया . स्वर्गीय खरे को 17 वर्ष की अल्पायु में देश की आजादी के आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण 13 माह तक रीवा केंद्रीय जेल में रखा गया था 

वहीं उन्हें 31 बेतों की सजा भी दी गई थी . नंगे बदन लगाई जाने वाली हर बेंत पर लहूलुहान बेहोश होने तक विंध्य के वीर सपूत खरे इंकलाब जिंदाबाद भारत माता की जय और महात्मा गांधी जिंदाबाद का क्रांतिकारी उद्घोष करते रहे . बेहोश होने के कारण शेष 10 बेतों की सजा रोक दी गई . सन 1947 में ऐतिहासिक दरबार कालेज रीवा (अब ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय ) के छात्रसंघ के चुनाव में श्री खरे अध्यक्ष निर्वाचित हुए | उन्होंने अध्यक्ष पद के चुनाव मे अर्जुन सिंह को परास्त किया था जो बाद में अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने वहीं श्री खरे के छात्रसंघ के अध्यक्षीय कार्यकाल में श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी महासचिव बने जो आगे चलकर मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष भी रहे | स्वर्गीय खरे ने विंध्य क्षेत्र में समाजवादी आंदोलन को गतिशील बनाने में अहम भूमिका अदा की थी | बाद में प्रशासनिक सेवा क्षेत्र में भी ईमानदारी से काम किया जिसके चलते उनका वहां भी संघर्ष चलता रहा | 20 अक्टूबर 1990 को 65 वर्ष की आयु में स्वर्गीय खरे ने इस संसार में अपनी अंतिम सांस ली |

कॉल कॉन्फ्रेंसिंग में अपनी बात रखते हुए बिहार आंदोलन के वरिष्ठ नेता रघुपति पटना (बिहार) ने बताया कि सन 1975 में देश में लगे आपातकाल के दौरान जब वह भूमिगत कार्यक्रम के अंतर्गत इलाहाबाद होकर रीवा आए थे तब अजय खरे मीसा अंतर्गत रीवा जेल में बंद थे . अजय खरे के घर जाकर उनके पिताजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ओंकार नाथ खरे और माताजी श्रीमती उमा खरे से मिलकर काफी अच्छा लगा था . उनके स्नेह की पावन स्मृतियां आज भी दिलो-दिमाग में यथावत हैं .यह भारी विडंबना है कि शासन के द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जयंती एवं पुण्यतिथि पर याद करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है . 

इस अवसर पर अख्तर हुसैन ने बताया कि सन 1977 के लोकसभा चुनाव के समय राजाशाही और तानाशाही ताकतों के खिलाफ रीवा लोकसभा के चुनाव प्रचार के लिए मैं गया था तब साथी अजय खरे के पिताश्री स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ओंकार नाथ ख़रे , माताजी और परिवार के सदस्यों से मुलाकात हुई थी . देश की आजादी के आंदोलन और समाजवादी आंदोलन में स्वर्गीय ओंकारनाथ खरे का महान योगदान रहा है . यह भारी विडंबना है कि ऐसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करने के लिए शासन प्रशासन के पास दो फूल भी नहीं है . सरकार के प्रतिनिधि जिले के पांच स्वतंत्रता सेनानियों का नाम बताने की स्थिति में नहीं है | समाजवादी जन परिषद की महाराष्ट्र राज्य इकाई के अध्यक्ष विष्णु ढोबले ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ओंकारनाथ खरे ने देश के आजादी के लिए कठोर से कठोर जेल यातनाएं सहीं लेकिन झुके नहीं . ऐसे लोगों की कुर्बानी के कारण आज देश आजाद है लेकिन यह भारी विडंबना है कि गलत लोगों के हाथ शासन व्यवस्था हो जाने के कारण देश की आजादी को फिर खतरा पैदा हो गया है . 

संपूर्ण क्रांति आंदोलन के नेता बजरंग सिंह मिहिजाम जामताड़ा (झारखंड) ने कहा कि दरअसल देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के बारे में लोगों की जानकारी और जिज्ञासा धीरे-धीरे खत्म हो रही है , जो किसी भी रुप में अच्छी बात नहीं है | आज असहमति के स्वरों को कुचलने से देश का लोकतंत्र खतरे में है | प्रसिद्ध समाजसेविका वाणी मंजरी दास पटनायक भुवनेश्वर (उड़ीसा) ने कहा कि यह भारी विडंबना है कि इधर अन्याय और अत्याचार के खिलाफ अहिंसक आवाज उठाने वालों को भी देशद्रोही कहा जाने लगा है . वहीं देश के साथ गद्दारी करने वाले देशभक्ति का सर्टिफिकेट बांट रहे हैं . विभा जैन जयपुर (राजस्थान) ने श्री ओंकारनाथ खरे जी को एक महान स्वतंत्रता सेनानी बताया , जिन्होंने अंग्रेजो के जुल्मों को अपनी पीठ पर झेला . देश की स्वतंत्रता के लिए अपने ऐशो आराम को बलिदान किया 

.ऐसी महान आत्मा को कोटि कोटि नमन . भारती त्यागी अहमदाबाद (गुजरात) ने स्वर्गीय खरे को नमन करते हुए कहा कि हम सब कर्जदार है इन सेनानियों के जिन्होंने हमें स्वतंत्र भारत दिया . स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश की आजादी के मूल्यों के लिए लड़े थे लेकिन आज मूल्यों का संकट गहराता जा रहा है . स्वतंत्रता संग्राम सेेेनानी स्वर्गीय ओंकार नाथ खरे केे ज्येष्ठ पुत्र समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा है कि आजादी के आंदोलन के मूल्यों की अनदेखी के चलते आजाद भारत का संकट गहराता जा रहा है . देश में विषमता अन्याय का बोलबाला है | देश की संवैधानिक संस्थाएं अपने उद्देश्य से भटक गई हैैं . पत्रकार आशा पटेल जयपुर (राजस्थान) ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय खरे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज देश की सत्ता गलत लोगों के हाथ में चले जाने से पूंजीवाद बढ़ता जा रहा है . लोग रोजी रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं . अधिकार की लड़ाई लड़ने पर डंडे पड़ रहे हैंं . समाजसेवी रामाधार पटेल रीवा मध्यप्रदेश ने कहा कि विंध्य क्षेत्र को इस बात का गर्व है कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ ओंकार नाथ खरे जैसे क्रांतिकारी हर बेंत लगने पर इंकलाब जिंदाबाद बोलते रहे लेकिन झुके नहीं .

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय खरे को नमन करते हुए देश के विभिन्न भागों से वरिष्ठ संघर्षशील समाजसेवी बुद्धिजीवियों ने विनम्र श्रद्धांजलि संदेश समर्पित किए हैं . उत्तर प्रदेश के वाराणसी से चंचल भू , लोकतंत्र सेनानी अशोक कुमार , सुनीता श्रीनीति , इलाहाबाद से विनय कुमार सिन्हा, चित्रकूट से राजा करवरिया , अभिमन्यु भाई , बिजनौर से सुनीता त्यागी , देशबंधु त्यागी , बलिया से सुरेश प्रताप सिंह , झांझरपुर से कामेश्वर कामटी , बिहार के पटना से प्रोफ़ेसर प्रकाश , कंचन बाला , किरण बाला प्रसाद , बीरेश सिन्हा , संजय रघुवर, मुजफ्फरपुर से रमेश चंद्र , भागलपुर से डॉ मनोज मीता , मोतिहारी से रामजय प्रताप , नवादा से शशि भूषण शर्मा , उपेंद्र साही , रोहतास से शिवजी सिंह , सीतामढ़ी से शशि रंजन , 

बेतिया से अमरेंद्र श्रीवास्तव , बेगूसराय से रमाशंकर , छत्तीसगढ़ रायपुर से कनक तिवारी , अतुल खरे , बिलासपुर से जावेद उस्मानी , दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त , अनिल जैन , श्याम गंभीर , पश्चिम बंगाल के कोलकाता से गंगा प्रसाद और जलपाईगुड़ी से विपुल राय, झारखंड के धनबाद से कृष्ण बल्लभ सहाय , गिरिडीह से धरणी धर प्रसाद , आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से गोपाल सिंह ठाकुर , गुजरात के अहमदाबाद से महादेव विद्रोही , महाराष्ट्र के औरंगाबाद से सुभाष लोमटे , अहमदनगर से शिवाजी गायकवाड़ , निशा शिउरकर , मुंबई से निशा अनुराग त्रिपाठी , राजस्थान के जोधपुर से संतोष छापर , पंजाब के होशियारपुर से प्रोफेसर सत्य नारायण श्रीवास्तव , हरियाणा के फरीदाबाद से अभय सिन्हा , मध्यप्रदेश के ग्वालियर से रमाशंकर सिंह , राम विद्रोही , राकेश शर्मा , इंदौर से अनिल त्रिवेदी , प्रवीण मल्होत्रा , रामस्वरूप मंत्री , लीला पंवार ,

 भोपाल से माधुरी लाल , देवेंद्र बघेल , छिंदवाड़ा से आराधना भार्गव , जबलपुर से सदन राय , शहडोल से शकुंतला सिंह , पिपरिया होशंगाबाद से गोपाल राठी , सतना से वीरेंद्र सिंह अकौना , विवेकानंद त्रिपाठी , भानु प्रताप सिंह परिहार , सिंगरौली से रोहनिप त्रिपाठी , रीवा से सुनीता सिंह , सुधा सिंह , रामेश्वर सोनी , लखन लाल खंडेलवाल , वीरेंद्र सिंह , अभय वर्मा , रमेंद्र कुमार पाण्डेय , डॉ विनोद शर्मा , श्रद्धा सिंह , रामलाल भारती , प्रेम कुमार चकियार , राजेंद्र श्रीवास्तव , शैलेंद्र श्रीवास्तव , संजय निगम , किसान सुब्रत मणि त्रिपाठी , देवराज चतुर्वेदी , राकेश तिवारी , रशीद खान , बृजेश त्रिवेदी , लाल मणि त्रिपाठी , संतोष अवधिया , अनूप अवस्थी , सुरेंद्र कुमार मिश्रा , प्रमोद दुबे , रहीम खान , रमेश पांडे , अंबरीष शुक्ला , संजय तिवारी , नशा मुक्ति आंदोलन , संतोष शर्मा , सुमंत गुप्ता , के पी सिंह , डॉक्टर तोषण सिंह , साकेत श्रीवास्तव आदि ने संदेश के जरिए सादर नमन किया है . सभी शुभचिंतकों के प्रति स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय खरे के परिवार की ओर से आभार प्रकट किया गया है .
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