० आशा पटेल ०
जयपुर -भारतीय जीवन बीमा निगम व सामान्य बीमा संस्थानों में काम करने वाले बीमा कर्मचारियों व अधिकारियों ने 1 अगस्त 2017 से लम्बित वेतन बढ़ातरी समझौते को शीघ्रातिशीघ्र सम्पन्न करने, भारतीय जीवन बीमा निगम को शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने के निर्णय को तत्काल प्रभाव से रद्द करने, सार्वजनिक बैंक व सामान्य बीमा कम्पनियों का निजीकरण नहीं करने, बीमा उद्योग में विदेशी निवेश 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को रद्द करने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण न करके उन्हें और अधिक सुदृढ़ करने जैसे मुद्दों पर अधिकारियों कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चे के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर जयपुर में जीवन प्रकाश के समक्ष प्रदर्शन किये गये।
अब सामान्य बीमा के बीमा कर्मी 17 मार्च व भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारी व अधिकारी 18 मार्च को मिलकर एक दिन की देशव्यापी हड़ताल करेंगे। बीमा कर्मचारियों में वेतन संशोधन के सवाल पर साढ़े तीन साल की अत्यधिक देरी पर कर्मचारियों के बीच भारी रोष पैदा हो रहा है। 21 दिसंबर 2020 को हुई वेतन वार्ता के बाद कोई प्रगति इस मुद्दे पर नहीं हुई है। जबकि केंद्र सरकार बजट प्रस्तावों में LIC के IPO लाने, बीमा उद्योग में विदेशी निवेश की सीमा 49 से बढ़ाकर 74 % करने, एक सामान्य बीमा कंपनी, बैंक व अनेक सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के जनविरोधी प्रस्ताव ले आई है। बीमा अधिकारी कर्मचारी अपने सार्वजनिक संस्थान के साथ साथ बीमा कार्मिकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे अपने संस्था के महत्वपूर्ण कार्य प्रदर्शन को बनाये रखने एवं बीमाधारकों सहित प्रत्येक हितधारकों के रूप में कर्मचारियों के साथ-साथ एलआईसी की रक्षार्थ अपना नागरिक कर्तव्य भी बखूबी निभायेंगे।
परन्तु केंद्र सरकार देश के मुकुट का बहुमूल्य रत्न माने जाने वाली अनुपम सार्वजनिक संस्थान LIC को जिस तरह से निजीकरण की ओर ले जाने की कुचेष्ठा कर रही है और उसके अनूठे कार्य प्रदर्शन के अनुरूप बीमा कर्मचारियों को बेहतर वेतन प्रस्तावों को देने में अनावश्यक देरी से उनके अन्दर घर करते असंतोष और निराशा की भावना संस्था के लिए अच्छी बात नहीं है। सरकार उनके 1 अगस्त 2017 से लंबित पड़े वेतन पुनरीक्षण में जारी अनावश्यक बाधाएं खड़ी कर उनके धैर्य की और अधिक परीक्षा न लें। अब बिना किसी अनिश्चितता के प्रबंधन को अतिशीघ्र वेतन वार्ता कर इसे सम्पन्न कर देना चाहिए।
नार्दर्न जोन इन्श्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के अध्यक्ष रामचंद्र शर्मा ने बताया कि LIC IPO संबंधी बजट प्रस्तावआत्मघाती है। एलआईसी की आईपीओ प्रक्रिया को तेज करने और विदेशी निवेश सीमा बढ़ाकर 49 से 74 फीसदी तक ले जाने का सीधा अर्थ "आत्मनिर्भर भारत" को खुद सरकार द्वारा ही बट्टा लगाना है। अधिकारी - कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा का यह मानना है कि LIC का IPO लाकर सरकार राष्ट्रीयकरण के बहुत उद्देश्यों को खुद ही कमजोर कर देगी। राष्ट्र और बीमाधारकों को मूल्य पहुंचाने के बजाय अब LIC शेयरधारकों के लिए मूल्य बनाने और मुनाफा कमाने के लिए काम करने के लिए मजबूर होंगी। सभी भारतीयों के स्वामित्व वाली संपत्ति और उसके लाभ का इस्तेमाल अब देश के चंदअमीरों के मुनाफे के हितार्थ किया जाएगा।
सरकार ने चुपके से वित्त विधेयक में ही LIC अधिनियम के बदलावों को समाहित कर लिया है। एलआईसी की पूंजी संरचना से संबंधित, एलआईसी बोर्ड की संरचना, बीमा धारकों को लाभांश भुगतान, अधिशेष वितरण पैटर्न और एलआईसी के शासी मानदंडों में बदलाव संबंधी संशोधन जो LIC अधिनियम 1956 में किये जाने हैं, वित्त विधेयक में दर्शा दिये गये हैं। बीमा अधिकारी कर्मचारियों ने इन विनाशकारी नीतियों के खिलाफ एक शक्तिशाली अभियान शुरू करने का फैसला किया है जिसमें लोगों के व्यापक हिस्से को जुटाना सुनिश्चित करना है।
प्रदर्शन सभा को विकास अधिकारी संगठन के क्षेत्रीय अध्यक्ष एम एल सोनी, मंडल सचिव नंदकिशोर गुप्ता, प्रथम श्रेणी अधिकारी संगठन के मंडल सचिव सुनील जैन व नार्दर्न जोन इन्श्योरेंस एम्पलाईज एसोसिएशन के जयपुर प्रथम के मंडल सचिव सुमित कुमार, इन्श्योरेंस पेंशनर्स एसोसिएशन के महासचिव सतीश खंडेलवाल, पीके तोषनीवाल ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व हड़ताली बैंक कर्मचारियों के बीच जाकर उनके आंदोलन को समर्थन भी दिया।
एक टिप्पणी भेजें