दरवाजे पर खड़ी लड़की मुस्कुराहट बिखेरती ၊
देहरी पर खड़ी सारी बलायें हरती ၊
घर की दीवारें थोड़ी टूट रही है ၊
चौखटों का साथ छोड़ रही है ၊
सांकल भी तंग है और बाहर की दुनियाँ से छिड़ी एक जंग है ၊
मजबूती से टिकना है उसे ၊
मुसीबतों को हरना है उसे ၊
देहरी लांघ गई तो अपह्रत हो जाएगी औ
र खड़ी रही तो प्रश्नचिन्हृ बन जाएगी ၊
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