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78.4 फीसदी महिलाओं ने माना कि उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर हिंसा का सामना किया


० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्ली : महिलाओं के खिलाफ हिंसा को अस्वीकार्य बनाने के लिए काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू इंडिया ने बायस्टेंडर बिहेवियर पर अपनी पहली स्टडी जारी किया। इस सर्वे का उद्देश्य उन दर्शकों या उन लोगों के विचारों और अनुभवों को समझना था जो सार्वजनिक और निजी स्थानों में हिंसा के गवाह होते हैं और वो कैसे हस्तक्षेप करते हैं या नहीं और दोनों स्थितियों में उनका व्यवहार और उसके पीछे के कारण क्या है?  यह सर्वे ऊबर इंडिया और आइकिया फाउंडेशन के समर्थन से जुलाई-अगस्त और सितंबर-अक्टूबर 2020 तक दो चरणों में किया गया।

2020 में ऊबर ने ग्लोबल ड्राइविंग चेंज कार्यक्रम के अन्तर्गत सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित बनाने के लिए ब्रेकथ्रू के साथ साझेदारी की थी। इसी के तहत ब्रेकथ्रू ने उबर के साथ मिल कर सार्वजनिक जगहों से लिंग आधारित हिंसा को समाप्त करने और बायस्टेंडर को हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित करने के लिए इग्नोर नो मोर कैंपेन शुरू किया था। यह कैंपेन इस बात पर जोर देता है कि हिंसा के वक्त मौजूद लोग मूक दर्शक न बने रहकर आगे बढ़कर हिंसा को रोकने के लिए हस्तक्षेप करें और बदलाव के वाहक बने । इस साझेदारी ने बायस्टेंडर के व्यवहार को समझने के लिए एक सर्वे की जमीन तैयार की।

बायस्टेंडर इंटरवेंशन एक रणनीति है जो निजी और सार्वजनिक जगहों पर हिंसा को देख-सुन रहे लोगों को आगे बढ़कर उसमें हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित करता है। 721 लोगों से ऑनलाइन सर्वे और 91 लोगों से सीधे इंटरव्यू के माध्यम से की गई इस स्टडी में बिहार,हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तेलंगाना राज्यों के लोग शामिल थे।  अधिकांश प्रतिभागियों, विशेष रूप से महिलाओं, ने हिंसा को एक व्यापक शब्द के रूप में पहचाना, जिसमें शारीरिक, मानसिक, मौखिक और यौन शोषण शामिल थे। 

यह सर्वे इस बात पर भी रोशनी डालता है कि कैसे पितृसत्तात्मक प्रथाएं हमारे समाज में घर कर चुकी है और हमारे दिन-प्रतिदिन खराब होते मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबध पितृसत्तात्मक प्रथाएं से है। सर्वे के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, सोहिनी भट्टाचार्य, अध्यक्ष और सीईओ, ब्रेकथ्रू ने कहा, "हमारे लिए पॉजिटिव बायस्टेंडर एक्शन को बढ़ावा देना हमेशा महत्वपूर्ण रहा है यही वजह है कि आज हम आप से इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं।  ऐसे अभियानों को शुरू करने में ब्रेकथ्रू का उद्देश्य यह है कि लोग महिला हिंसा को निजी मामला न मानते हुए समुदाय का मुद्दा माने और एक साझा जिम्मेदारी लें और सामुदायिक कार्यवाही करें।

सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि महिलाओं के लिए सुरक्षित सार्वजनिक स्थानों के निर्माण के लिए कई संरचनात्मक और प्रणालीगत स्तरों पर काम करने की आवश्यकता है। उनके बीच का एक महत्वपूर्ण पहलू बायस्टेंडर का समर्थन भी है। बायस्टेंडर में सकारात्मक कार्रवाई की कमी सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि वे परवाह नहीं करते हैं। हिंसा के लिए दोषी ठहराए जाने का डर, पुलिस और कानूनी प्रक्रियाओं में फंसना कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जो लोगों को दख़ल देने से रोकती हैं। ऐसी स्थितियों में क्या करना है, यह न जानना भी लोगों को हिंसा को रोकने में दख़ल देने से रोकती है।

ऊबर के हेड ऑफ ड्राइवर,सप्लाई व सिटी आपरेशन्स ( भारत व दक्षिण एशिया) पवन वैश ने कहा कि ब्रेकथ्रू के साथ साझेदारी की वजह से बायस्टेंडर पर यह विस्तृत रिपोर्ट बन सकी है, हम आशा करते हैं कि इस रिपोर्ट के माध्यम से हमारे साझा कैंपेन #IgnoreNoMore को और ताकत मिलेगी। ब्रेकथ्रू जैसी उत्कृष्ट संस्था के साथ मिलकर हमें उम्मीद है कि एक बेहतर और सुरक्षित दुनिया बनाना जो कि हमारे वैश्विक ड्राइविंग चेंज प्रोग्राम का उद्देश्य भी है,उसे पूरा कर सकते हैं। ब्रेकथ्रू जैसी उत्कृष्ट संस्था से ऊबर सदैव प्रेरणा व सलाह लेता रहता है कि कैसे महिलाओं के लिए सुरक्षित और हिंसा मुक्त समाज बनाया जा सकता है।

54.6% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक स्थान पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटना को रोकने में हस्तक्षेप किया है।

55.3% उत्तरदाताओं ने हिंसा का सामना करने वाली महिला / लड़की की परेशानी को देखा।

67.7% उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके हस्तक्षेप से हिंसा रुक गई।

लोग हस्तक्षेप क्यों करते हैं?

सर्वेक्षण में पाया गया कि सही ’काम करने का आग्रह’ अक्सर दर्शकों को हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित करता है। कुछ उत्तरदाताओं ने यह भी बताया कि कि वे बाल यौन शोषण और घरेलू हिंसा के शिकार हुए थे। लेकिन वे उस समय वह अपने साथ उनका शोषण करने वाले का विरोध नहीं कर सकते थे। यह उनका अपने साथ हुई घटना के खिलाफ एक गुस्सा था  जिसने उन्हें बाद में उनके जीवन में हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया। उत्तरदाताओं ने यह भी कहा कि लैंगिक मुद्दों के बारे में बेहतर जानकारी और जागरूकता ने भी उन्हें हिंसा को रोकने में मदद की।

लोगों ने कैसे हस्तक्षेप किया है?

एक्टिव बायस्टेंडर के नजरिए से हस्तक्षेप ( दख़ल ) की रणनीति और तरीके लिंग, आयु, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और लैंगिक अधिकारों के प्रति जागरूकता जैसे कई कारकों से प्रभावित होते हैं। सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं ने अपने जीवन में कुछ बिंदुओं पर हस्तक्षेप किया है, इसमें हस्तक्षेप के कुछ दिलचस्प तरीके यह रहे: हिंसा का सामना करने वालों के साथ सीटों की अदला-बदली: लैंगिक हिंसा की स्थिति से चुपचाप निपटने का यह एक महत्वपूर्ण तरीका था, विशेषकर हिंसा का सामना करने वालों के दृष्टिकोण से। बाद में कनेक्ट करने के लिए एक मोबाइल नंबर देना (विशेषकर अंतरंग साथी/ जीवन साथी द्वारा हिंसा के मामलों में जिसमें महिला को अपने अगले कदम के बारे में सोचने के लिए समय की आवश्यकता हो सकती है)। हिंसा का सामना करने वाले/ सर्वावाइवर को चिकित्सा सहायता के लिए ले जाना।

हिंसा का सामना करने वाले को सुरक्षित घर तक छोड़ के आना पितृसत्तात्मक प्रथाओं से प्रेरित कथनों के माध्यम से जैसे "क्या आपकी माँ और बहन नहीं हैं?" 

78.4% महिलाओं ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा का अनुभव किया है (सार्वजनिक परिवहन शामिल नहीं है)

68% महिलाओं ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक परिवहन लेते समय हिंसा का अनुभव किया है।

70% उत्तरदाताओं ने कहा कि वे आदर्श रूप से हस्तक्षेप / बोलने से लिंग आधारित हिंसा के परिदृश्य में मदद करना चाहेंगे

सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं के पास, जिन्हें हस्तक्षेप कर्ता के हस्तक्षेप के अनुभव है, ने दुर्व्यवहार और यौन हिंसा के अधिकांश सर्वाइवर के  मौन पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उत्तरदाताओं में से कुछ ने महिला व्यवहार और उनके चयन को प्रभावित करने में संरचनात्मक और सामाजिक स्थिति द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि लड़कियों को बचपन से ही कैसे विनम्र होना सिखाया जाता है और कम से कम अपने परिवेश को चुनौती नहीं दी जाती है। हिंसा का सामना करने वालों की चुप्पी सार्वजनिक स्थानों पर अक्सर हस्तक्षेप करने वालों को हतोत्साहित करती है।

लोग हस्तक्षेप करने में संकोच क्यों करते हैं?

45.4% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटना में हस्तक्षेप नहीं किया है।

38.5% उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि क्या करना है।

उनमें से 31% ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित थे।

उनमें से 11.5% को लगता है कि उन्हें पुलिस / कानूनी मामलों में घसीटा जाएगा

सार्वजनिक और निजी स्थानों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए बायस्टेंडर हस्तक्षेप एक महत्वपूर्ण उपकरण है। सरकार को महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए व्यक्तिगत कार्रवाई और व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए पहल करनी चाहिए। आसानी से सभी के लिए सुलभ रिपोर्टिंग सिस्टम का निर्माण, सूचना की जानकारी का प्रसार,  हिंसा का सामना करने वाली की सुरक्षा सुनिश्चित करना और बायस्टेंडर के हस्तक्षेप को बढ़ावा देना इसके लिए आवश्यक है। साथ ही पुलिस कर्मियों के लिए लैंगिक संवेदनशीलता, बेहतर सामुदायिक कार्रवाई के लिए नागरिक-पुलिस के बीच महिलाओं के लिए सुरक्षित और हिंसा मुक्त सार्वजनिक स्थान बनाने के लिए महत्वपूर्ण होंगे। इसके अलावा, हमें महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम के लिए प्रणालीगत  और नीतिगत स्तर की बदलाव लाने की जरूरत है और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।

ब्रेकथ्रू के बारे में:

ब्रेकथ्रू एक स्वयंसेवी संस्था है जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करती है। कला, मीडिया, लोकप्रिय संस्कृति और सामुदायिक भागीदारी से हम लोगों को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसमें हर कोई सम्मान, समानता और न्याय के साथ रह सके। हम अपने मल्टीमीडिया अभियानों के माध्यम से महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों को मुख्यधारा में लाकर इसे देशभर के समुदाय और व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक  भी  बना रहे हैं। इसके साथ ही हम युवाओं, सरकारी अधिकारियों और सामुदायिक समूहों को प्रशिक्षण भी देते हैं, जिससे एक नई ब्रेकथ्रू जनरेशन सामने आए जो अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला सके।

ऊबर के बारे में:

ऊबर का मिशन, मूवमेंट द्वारा अवसरों का निर्माण करना है। हमने 2010 में एक छोटी की समस्या के समाधान के साथ शुरुआत की थी कि आपको एक बटन टच करने पर राईड किस प्रकार प्रदान की जा सकती है।आज 15 बिलियन ट्रिप्स पूरी कर लेने के बाद हम ऐसे उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं, जो लोगों को अपने गंतव्य के नजदीक ले जाते हैं। शहरों में लोगों, फूड एवं वस्तुओं के आवागमन के तरीके में बदलाव लाकर ऊबर प्लेटफॉर्म नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है।

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