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हज़रत मुहम्मद स0अ0व0 सारी इंसानियत के लिये रहमत बनाकर भेजे गये- मुफ्ती सैयद मुहम्मद हुजै़फा क़ासमी


० नूरुद्दीन अंसारी ० 

कानपुर:- जमीअत उलमा शहर कानपुर के ज़ेरे एहतमाम तीन दिवसीय इज्लास मेराजुन्नबी स0अ0व0 मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी की निगरानी और डा.हलीमुल्लाह खां की अध्यक्षता में जारी है। जिसके दूसरे जलसे से खिताब करते हुए भिवन्डी से तशरीफ लाये जमीअत उलमा महाराष्ट्र के नाज़िम मौलाना मुफ्ती सैयद मुहम्मद हुजै़फा क़ासमी ने कहा कि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हज़रत ईसा अ0 तक किसी नबी को भी मेराज को गौरव प्राप्त नहीं हुआ, 

यह सिर्फ और सिर्फ हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की विशेषता है। अल्लाह ने आपको मक्का से पहले बैतुल मक़्िदस फिर बैतुल मक़्िदस से आसमानों से होते हुए अपने पास बुलाया और इतना नज़दीक किया कि एक स्थान पर जाकर हज़रत जब्रईले अमीन ने भी आगे बढ़ने से इंकार कर दिया। इस विशेष मुलाक़ात में अल्लाह ने अपने महबूब को बहुत सी नेमतों से नवाज़ा और उम्मत के लिये तोहफा बतौर ईनाम के पांच वक़्त की नमाज़ें अता कीं । 

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मेराज में मस्जिदे हराम और बैतुल मक़्िदस को जमा करने बहुत बुनियाद और महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि समस्त आसमानी मज़ाहिब(धर्माें) को मानने वाले जिनका सम्बन्ध खाना ए क़ाबा से हो या मस्जिदे अक़्सा से रहा हो वह यह देख लें कि आखिरी पैग़म्बर सैयदना हज़रत मुहम्मद स0अ0व0 सारे जहान और सारी इंसानियत के लिये एक ही साथ रहमत बनाकर भेजे गये और आपके सफरे मेराज में दोनों मुक़द्दस स्थानों को जमा कर दिया गया। बैतुल मक़्िदस में सारे नबी मौजूद थे जिन्होंने हज़रत मुहम्मद स0अ0व0 के पीछे मुक़्तदी बनकर नमाज़ अदा की ताकि उनकी उम्मतें इस बात को समझ जायें और उनको यक़ीन हो जाये कि हम जिसको अपना बड़ा मानते हैं वह भी हज़रत मुहम्मद स0अ0व0 को अपना बड़ा मान रहे हैं और सारी इंसानियत आप स0अ0व0 के कलमे के नीचे एक होकर जमा होते हैं।

इज्लास मेराजुन्नबी के आयोजक जमीअत उलमा कानपुर के महासचिव मौलाना अमीनुल हक़ अब्दुल्लाह क़ासमी ने मौजूद लोगों से कहा कि अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद स0अ0व0 हमारे लिये जो दीन लाये और हमारे लिये जो कुर्बानियां पेश कीं, अब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ात(व्यक्तित्व) की हिफाज़त, बात यानि हदीसों की हिफाज़त और आप स0अ0व0 की जमाअत यानि सहाबा ए किराम रजि0 की रक्षा करना हम सभी अहले ईमान की ईमानी और नैतिक ज़िम्मेदारी है। मौलाना ने कहा कि अल्लाह पाक अपने महबूब नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की कुबऱ्ानियों को बेकार नहीं जाने देंगे और आप स0अ0व0 का लाया हुआ दीन और आप की शरीअत क़यामत तक महफूज़ रहेगी। हम अगर इस दीन और शरीअत से अपने आपको मुकम्मल तौर पर जोड़ लेंगे तो हम भी महफूज़ रहेंगे।

इससे पूर्व क़ारी मुजीबुल्लाह इरफानी ने तिलावत कुरआन पाक से किया। मुफ्ती उस्मान क़ासमी व मौलाना अंसार अहमद जामई ने संचालन के कर्तव्यों को अदा किया। हाफिज़ मुहम्मद मसूद ने नात का नज़राना पेश किया। इस अवसर पर जमीअत उलमा कानपुर के अध्यक्ष डा0.हलीमुल्ला खां, मौलाना मुहम्मद शफी मज़ाहिरी, मौलाना मुहम्मद अनीस खां क़ासमी, मौलाना सईद खां क़ासमी, मौलाना अनीसुर्रहमान क़ासमी, मौलाना फरीदुद्दीन क़ासमी,मौलाना मक़सूद नदवी, हाफिज मुहम्मद रेहान, मौलाना मुहम्मद ताहिर, क़ारी अब्दुल मुईद चैधरी, मुफ्ती इज़हार मुकर्रम क़ासमी, मौलाना कलीम जामई, क़ारी शमशाद, क़ारी मुहम्मद ग़जाली खां के अलावा सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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