जयपुर, मूल्य समर्थन नीति के अंतर्गत प्रधानमन्त्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका के कारण सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन, तिल, रामतिल, मूंग, उड़द, अरहर, मसूर, चना जैसी तिलहन एवं दलहन की उपजों की कुल उत्पादन में से 75% उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की बाहर कर दिया I इससे किसानो की आय घटने की स्थिति आ गयी I इसके उपरांत भी प्रधानमंत्री द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य को चालू रखने की निरंतर घोषणा की जा रही है I इतना ही नहीं तो किसानो संगठनो के प्रतिनिधियों के साथ चल रही वार्ता में लिखित आश्वासन देना भी प्रचारित किया जा रहा है I यह किसानो की आँख में धूल झोंकने के समान है I
इस मार्गदर्शिका की केंद्र सरकार द्वारा पालना नहीं करने से अकेले राजस्थान में चना एवं मूंगफली में 117 करोड़ रुपये के घाटे की सम्भावना बनी हुई है I दूसरी और केंद्र सरकार द्वारा गणितीय भूल को सुधारने के स्थान पर त्रुटियों की पुनरावृति के कारण किसानो को यह घाटा होगा I
अभी 18 नवंबर से मूंगफली की खरीद चल रही है I मूंगफली के कुल उत्पादन में से 25% से कम खरीद की मात्रा के निर्धारण के कारण 61,76,92,000 रुपए के घाटे की संभावना आकलन किया गया है I केंद्र सरकार द्वारा 25% के स्थान पर 20.23% के गलत निर्धारण के कारण ही राज्य में 7,72,115 क्विंटल मूंगफली की खरीद कम होगी I अभी मूंगफली के न्यूनतम समर्थन मूल्य 5575 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार में प्रचलित मूल्य 4400-4500 रुपये के लगभग हैं। इसके अनुसार 1 क्विंटल पर ₹800 का घाटा होगा।
इसी प्रकार चने की खरीद भी 22.93% की गई थी। आश्चर्य जनक तथ्य यह है कि विपणन वर्ष 2021-22 की रबी उपजो की मूल्य नीति में राजस्थान में 24.9% चना खरीद का उल्लेख किया गया है। दूसरी ओर राजस्थान सहित अन्य राज्यों द्वारा 25% से अधिक चना ख़रीद के प्रस्तावो को तो स्वीकार नहीं किया गया, जबकि इसी अवधि में मध्यप्रदेश उपचुनाव जीतने के लिए में गोपनीय ढंग से 27.1% चना खरीदा गया है। यह अन्य राज्यों के किसानों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार है। इसे छुपाने के लिए दुराव-छिपाव की नीति अपनाई गई है। भेदभाव जनित ऐसे अन्याय को रोकने के लिए केंद्र सरकार से "श्वेत पत्र" प्रसारित करने का आग्रह किया गया है।
उल्लेखनीय है कि चना खरीद संबंधी केंद्र सरकार द्वारा 25% खरीद के लक्ष्य की मात्रा की त्रुटि को सुधारने के लिए किसानों ने महीनों तक सड़कों पर अपने चने भरे हुए हजारों ट्रैक्टरों के साथ आंदोलन किया उसके कारण राजस्थान राज्य की 6 करोड़ जनता की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र प्रेषित किया I उसी के अनुसरण में राजस्थान राज्य कृषि एवं सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री कुंजी लाल मीणा ने निरंतर केंद्र सरकार से पत्र व्यवहार करते हुए संपर्क साधे रखा था I तब भी केंद्र सरकार ने लिपिकीय भूल नहीं सुधारी बल्कि अब मूंगफली के लक्ष्य की मात्रा का गलत निर्धारण कर दिया I
होना तो यह चाहिए था कि केंद्र सरकार दाने-दाने की खरीद के लिए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान की मार्गदर्शिका में तिलहन एवं दलहन के 75% उत्पादों को खरीद की परिधि में लाने के लिए 25% से अधिक खरीद के प्रतिबंध को समाप्त करती। किंतु सरकार तो 25% तक की खरीद को भी रोकने पर तुली हुई है। इस संबंध में केंद्र एवं राज्य के कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री को भेदभाव रहित - पारदर्शी नीति अपनाने हेतु ध्यानाकर्षण के लिए एक माह पूर्व पत्र प्रेषित किया था तब भी इस दिशा में अभी तक कोई सार्थक कार्यवाही नहीं हुई I
एक टिप्पणी भेजें