जयपुर - कोविड-19 के बाद दुनिया भर में उथल-पुथल मची हुई है और इस बदलाव के बाद डिजिटल कनेक्ट के माध्यम से दुनियाभर के देश एक साथ आ खड़े हुए हैं। इसी सिलसिले में आज भारत और इंडोनेशिया के बीच डिजिटल कनेक्ट की गति को आगे बढ़ाते हुए एक उच्च स्तरीय संवाद का आयोजन किया गया। इसमें आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट (कार्यवाहक), डॉ. पी. आर. सोडानी, एनआईसी, भारत सरकार की महानिदेशक, राजदूत श्रीमती नीता वर्मा, भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के सदस्य अनूप के मुद्गल, सेवा इंटरनेशनल भारत के सचिव और वैश्विक समन्वयक श्याम परांदे, आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के डीन ट्रेनिंग डॉ. शिव त्रिपाठी, डॉ. आलोक ड्रोलिया और डॉ. ईश्वर रामलचमन जैसे प्रमुख गणमान्य लोगों ने विचार-विमर्श किया।
इस संवाद के दौरान भारत और इंडोनेशिया के बीच अवसरों और चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर भी फोकस किया गया। पूरा संवाद भारत और इंडोनेशिया के बीच सामाजिक, शिक्षा और कौशल, तकनीकी, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य, व्यापार और वाणिज्य और वित्तीय संबंधों पर केंद्रित रहा। भारत और इंडोनेशिया के बीच इस वर्चुअल उच्च स्तरीय बातचीत में आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय ने नाॅलेज पार्टनर के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस संवाद में मुख्य वक्ता के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय के प्रेसीडेंट (कार्यवाहक), डॉ. पी. आर. सोडानी ने कहा, ‘‘भारत और इंडोनेशिया के बीच पिछले अनेक वर्षों से सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संपर्क कायम हैं। वर्तमान दौर में भारत को कौशल विकास, नेटवर्किंग और शिक्षा के लिए इंडोनेशिया के साथ घनिष्ठ सहयोग करना चाहिए। साथ ही हमें इंडोनेशिया के साथ सहयोग और ज्ञान साझा करते हुए इस देश में छिपी क्षमताओं का पता लगाने का प्रयास करना होगा। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के नजरिये से देखें तो भारत और इंडोनेशिया के हित इन क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। इन दोनों क्षेत्रों के माध्यम से अनुसंधान और विकास, दवा संबंधी सामग्री, आईटी आधारित चिकित्सा स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़े साल्यूशंस और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मानव संसाधन संसाधन जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।‘‘
विचार-विमर्श के दौरान स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया और वक्ताओं ने भारत और इंडोनेशिया के बीच सहयोग और साझेदारी की व्यापक संभावनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. सोडानी ने कहा कि साथ मिलकर भारत और इंडोनेशिया एक बड़ी ताकत बन जाते हंै, और ये दोनों देश समाज की बेहतरी के लिए मिलजुल कर प्रभावी कदम उठा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग से दोनों देशों के शोधकर्ताओं को मदद मिलेगी। साथ ही दोनों देशों के शैक्षणिक समुदाय, छात्र, संकाय सदस्य, स्वास्थ्य वैज्ञानिक मिलजुल कर एक साथ काम कर सकते हैं और सतत विकास से संबंधित लक्ष्यों को हासिल करने में एक बड़े स्तर पर योगदान कर सकते हैं, जो इन देशों का प्रमुख उद्देश्य भी है।
डॉ। पीआर सोडानी ने कहा, ‘‘हमारी राष्ट्रीय सरकारें आपसी साझेदारी के माध्यम से सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही हैं और इस माहौल में संगठनों के बीच साझेदारी से हम इस दिशा में बेहतर उपलब्धियां हासिल करने में सफल रहेंगे। एक देश के रूप में भारत के पास टैक्नोलाॅजी और डिजिटल क्षेत्र में जबरदस्त क्षमता है, और इस क्षमता का उपयोग इंडोनेशियाई अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों में लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक टैक्नोलाॅजी और नवाचारों के साथ डिजिटल बदलावों का इस्तेमाल किया जा सकता है। हमारे पास अच्छे वैज्ञानिक, इंजीनियर और चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी अच्छी टीम है और इस टीम की सेवाओं का लाभ लेने के लिए हमें लोगांे और सार्वजनिक क्षेत्र के बीच बेहतर तालमेल कायम करने की दिशा में काम करना होगा।‘‘ डाॅ. सोडानी ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, ‘‘आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय भारतीय साझेदारी और सहयोग के माध्यम से इंडोनेशिया की नीतियों, कार्यक्रमों, विचारों और साझा लक्ष्यों को लागू करने में सबसे आगे होगा।‘‘
उन्होंने अपने विचारों को और विस्तार देते हुए कहा, ‘‘यह तालमेल स्वास्थ्य कर्मियों और उन समुदायों के बीच होना चाहिए, जिनके लिए ये स्वास्थ्यकर्मी काम कर रहे हैं। इसके साथ ही डिजिटल तकनीक में विशेषज्ञता रखने वाले लोगांे के बीच भी यही सामंजस्य होना आवश्यक है, क्योंकि उन्हें सामुदायिक आवश्यकताओं को समझना होगा और उन्हें स्वास्थ्य सेवा से संबंधित माहौल को भी समझना होगा। भारत और इंडोनेशिया के बीच बहुत सारे अवसर हैं और इस महामारी ने हमें एक साथ काम करने और एक साथ रहने के लिए अनूठा अवसर उपलब्ध कराया है।‘‘
आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय एक खास मिशन के साथ भारत और अन्य देशों के छात्रों को तैयार कर रहा है और मैनेजमेेट टूल्स और टैक्नीक के इस्तेमाल के साथ उन्हें महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहा है, ताकि वे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में आगे बढ़ सकें और उनकी प्रभावशीलता और दक्षता को और बेहतर बना सकें।
आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय एक खास मिशन के साथ भारत और अन्य देशों के छात्रों को तैयार कर रहा है और मैनेजमेेट टूल्स और टैक्नीक के इस्तेमाल के साथ उन्हें महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहा है, ताकि वे स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की दिशा में आगे बढ़ सकें और उनकी प्रभावशीलता और दक्षता को और बेहतर बना सकें।
आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र में अग्रणी के तौर पर अपनी पहचान बनाई है और इसने साउथ ईस्ट एशिया पब्लिक हेल्थ एजुकेशंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आईआईएचएमआर विश्वविद्यालय ने ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को तैयार किया है, जिन्होंने स्वास्थ्य प्रणाली में प्रभावी रूप से योगदान किया है और जिन्होंने अस्पताल प्रबंधन सेवाओं, स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रमों और फार्मास्युटिकल उद्योग के लिए बेहतर कौशल के साथ उपयोगी सेवाएं दी हैं।
वेबिनार का फोकस लोगों को आापस मंे नजदीक लाने पर भी रहा। साथ ही इस दौरान नए अवसरों, नए बाजारों, तालमेल की शक्ति, स्वास्थ्य कल्याण, पर्यटन और संस्कृति, बहु-हितधारक मंथन, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, नवाचार, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व आदि विषयों पर भी गहन चर्चा की गई।
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