0 सुषमा भंडारी 0
कच्ची माटी के
आओ इनमें प्रकाश भरें
अपने देश की परिपाटी का बनकर बाती-----
जला दें भीतर पनपती बुराईयां
खुद से बड़ी होती परछाइयां
उर अंतर में प्यार भरें
मिट जाय जीवन से सब गम------
करें कुछ ऐसे ही प्रयास
चहुंदिश में हो बस उल्लास
पटाखों के विरोध की शपथ लें बच्चों के साथ
स्वच्छता का हो सुंदर प्रभात-----
प्लास्टिक का मिटा दें नाम औ निशान
देश का तब ही हो उत्थान
कैन्सर जैसे रोग को जड़ से मिटाएं
आगामी पीढी की खुशियाँ बचायें---------
जल संचय भी बहुत जरूरी
घेरे न कोई मजबूरी
सूखे न धरती का आंचल
रूठे न हमसे ये बादल--------
इस वर्ष मनायें दीवाली कुछ यूँ
कि सावधानियाँ हों हमारे संग
बिखरें दिलोँ में खुशियोँ के रंग
न रूठे फिर हमसे जिन्दगी------
वृक्षारोपण जन-जन का हो ध्येय
मात- पिता हरदम हों श्रद्धेय
संस्कारों का देकर उपहार
दीपपर्व पर बांटे प्यार--------
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नेह की बाती
नेह की बाती बनाऊं
दीप बालूं प्यार का
जीत लूँ मैं दिल सभी का
मुख न देखूं हार का
नेह की बाती बनाऊँ----
ख्वाब सारे होंगे पूरे
है अगर विश्वास तो
दीपोत्सव है हरिक दिन
मन में है उल्लास तो
नेह की बाती बनाऊँ-----
आ मनायें हम दीवाली
गर दिलोँ में प्यार हो
जीत लूँ मैं दिल सभी का
ऐसा बस व्यव्हार हो
नेह की बाती बनाऊँ-----
0 सुषमा भंडारी 0
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