सुषमा भंडारी
कुछ माहिया-----
चन्दा सा चमके तू
साजन तू मेरा
सिंदूर में दमके तू ।
श्रिंगार तुझी से है
व्रत पूजा तू ही
ये प्यार तुझी से है।
तू चाँद मिरा सजना
देखूं छलनी से
तू जान मिरी सजना ।
है रौनक तू घर की
खुशियाँ तुझसे ही
तू आदत है घर की।
तेरी उम्र के सदके
जाउँ मर- मर मैं
तिरा नाम जप-जप के।
एक टिप्पणी भेजें