भारत, नेपाल और बांग्लादेश से तकरीबन 200 छात्रों को इस साप्ताहिक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया। सम्मेलन के दौरान कई रोचक सत्रों एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा, जिसमें छात्रों को स्थायित्व के जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने का अवसर मिलेगा, साथ ही वे बेहतर भविष्य के लिए विचारों का आदान-प्रदान भी कर सकेंगे।
Nuruddin Ansari
नई दिल्ली,:गोएथे-इन्स्टीट्यूट, नई दिल्ली एवं सेंट्रल एजेन्सी फॉर जर्मन स्कूल्स अबरोड ने अपनी तरह के पहले युवा सम्मेलन 2020 (यूथ कॉन्फ्रेन्स 2020) की शुरूआत की। ‘Youth and Sustainopreneurship’ यानि ‘युवा एवं स्थायी उद्यमिता’ विषय पर आधारित इस सम्मेलन को जर्मन दूतावास तथा इंडो-जर्मन चैम्बर ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली का समर्थन प्राप्त था।
सम्मेलन स्थायित्व पर आधारित होगा और इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी जैसे ‘हम किस तरह भविष्य में स्थायित्व को बढ़ावा दे सकते हैं और कैसे जैसे वायु प्रदूषण, भेदभाव निष्पक्ष कार्य प्रणाली, जीवन की परिस्थितियों से जुड़ी विश्वस्तरीय चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।’ सम्मेलन के दौरान समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और अल्पकालिक आर्थिक गतिविधियों से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
इस अवसर पर मिस वेरोनिका तरंज़िस्काजा ने कहा, ‘‘वर्ष 2020 ने सब कुछ बदल दिया है, आज हम सभी एक अलग और अनिश्चित दौर से गुज़र रहे हैं, हम इनोवेटिव होने का प्रयास कर रहे हैं जब कोविड-19 के चलते हमारे सामने ऐसे प्रतिबंध हैं, जिनका सामना हमने इससे पहले कभी नहीं किया। आज, हमारे पास दुनिया की सबसे ज़्यादा युवा आबादी है और ऐसी मजबूत पीढ़ी है जो भविष्य के लिए प्रेरणादायी होगी। हमें यह सुनिश्चित करना है कि युवाओं को अपनी आवाज़ उठाने का मौका मिले और उनकी बात निर्णय-निर्धारकों तक पहुंचे। चूंकि स्थायी उद्यमिता (sustainopreneurship)आधुनिक विचारों पर आधारित है, यह हमें स्थायी जीवनशैली के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में युवा पीढ़ी के विचारों को सुनना बहुत महत्वपूर्ण है, हमें यह जानना चहिए कि वे किस तरह के एक्शन प्लान के बारे में सोच रहे है।’
उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, ‘‘हम दुनिया में बदलावों के लिए इंतज़ार नहीं कर सकते, इसके बजाए हमें खुद अपनी दुनिया को बदलना होगा।’
आगामी सप्ताह के दौरान, स्कूली बच्चों को स्थायी उद्यमिता से जुड़े महत्वपूर्णविषयों पर काम करने का मौका मिलेगा जैसे पहचान का विचार, स्थायी जीवनशैली, खाना पकाना और उद्यमी बनना। इसके अलावा, कई महत्वपूर्ण विषयों पर कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी जैसे लिंग समानता, बजट के अनुसार किसी परियोजना की योजना बनाना, ऐप्लीकेशन प्रक्रिया में सहायता आदि। छात्रों को इस रोचक बदलावकारी दुनिया तथा सामाजिक उद्यमिता के बारे में जानने का अवसर मिलेगा, उन्हें देश के कुछ अग्रणी नीति निर्माताओं और बदलावकर्ताओं के साथ मौजूदा दौर की सबसे मुश्किल चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, एडटेक, माहवारी के दौरान हाइजीन जैसे विषयों पर विचार-विमर्श करने का अवसर भी मिलेगा।
सम्मेलन के पहले दिन की शुरूआत डॉ बर्थोल्ड फ्रैंक, डायरेक्टर, गोएथे इन्सटीट्यूट/ मैक्स मूलर भवन, नई दिल्ली, वेरोनिका तरंज़िस्काजा, PASCH हैड साउथ एशिया, गोएथे इन्सटीट्यूट/ मैक्स मूलर भवन, नई दिल्ली और मैठ्ठिआस स्टेहले, एक्सपर्ट कन्सलटेन्ट, सेंट्रल ऑफिस फॉर जर्मन स्कूल्स अबरोड के स्वागत सम्बोधन के साथ हुई। कथित साझेदारों एवं मेहमानों के व्याख्यान के अलावा प्रतिभागियों को भोजन उद्योग से जुड़ी अग्रणी विश्वस्तरीय जर्मन कंपनी- डॉ ओटकर के वर्चुअल दौरे का मौका भी मिला। इस अवसर पर इंटर्नशिप की घोषणा की गई और छात्रों को डॉ ओटकर में प्रख्यात इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने का अवसर मिलेगा।
उद्घाटन समारोह का आधिकारिक समापन वेरोनिका तरंज़िस्काजा, PASCH हैड साउथ एशिया, गोएथे इन्सटीट्यूट/ मैक्स मूलर भवन, नई दिल्ली के द्वारा किया गया, जिसके बाद ग्लोकल फिल्म्स, लंदन एवं मेयो कॉलेज, अजमेर की ओर से विषय पर एक फिल्म स्क्रीनिंग भी की गई। सम्मेलन का समापन समारोह 7 नवम्बर को होगा, इस अवसर पर सामाजिक उद्यमिता और युवा उद्यमियों को समर्थन एवं प्रोत्साहन प्रदान करने वाला विश्वस्तरीय संगठन अशोका चेंजमेकर्स ‘How to make a change’? विषय पर एक पैनल चर्चा का आयोजन करेगा। कार्यशाला के प्रतिभागियों में भारत, बांग्लादेश और नेपाल से स्कूली छात्र हिस्सा लेंगे तथा विषय पर अपने अनुभवों एवं विचारों को साझा करेंगे।
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