यह संगठन राष्ट्रीय स्तर पर पूरे देश में ट्यूटरी के छेत्र से जुड़े लोगों की जरूरतों, उनकी समस्याओं के अलावा उनकी विभिन्न मांगों को न केवल सुनेगा, बल्कि उनके हित के लिए विभिन्न सरकारी मंचों पर उनकी मांगों और शिकायतों को व्यक्त कर इसके निवारण पर तेजी से काम करेगा। टीडब्ल्यूएआई के गठन के काफी पहले से हीं इस संगठन के अधिकारी राज्य स्तर पर तेजी से काम कर रहे थे। समय के साथ इस पेशे से जुड़े लोगों की तरफ से लगातार उठ रही मांग को देखते हुए टीडब्ल्यूएआई के गठन की आवश्यकता हुई। इसके उद्घाटन के साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले शिक्षक लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से एसोसिएशन तक अपनी समस्या पहुंचा रहे हैं।
टीडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष स्वपन दत्ता (उज्ज्वल) का कहना हैं, मौजूदा समय में देश की शिक्षा प्रणाली में घर कर गये भ्रष्टाचार को मिटाने के साथ एक शिक्षित समाज का गठन करने में अहम योगदाम देने वाले शिक्षकों एवं शिक्षा के स्तर की बेहतरी के लिए सरकार को शिक्षित समाज के निर्माण में गुमनाम शिक्षकों के योगदान की भी सराहना करनी चाहिए। शिक्षक, समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए शिक्षित समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसके बावजूद वे आज तक सरकारी उपेक्षा का पात्र बने हैं और आज भी वे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से बाहर हैं।
मौजूदा समय में कोरोना महामारी के कारण आज अधिकतर शिक्षण संस्थान बंद हैं। ऑनलाइन कक्षाएं केवल शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित हो गयी थी। जब ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के एक बड़े वर्ग में अधिकांश छात्रों के पास कोई स्मार्ट फोन नहीं होने के कारण वे ऑनलाइन कक्षा में शामिल नहीं हो पाते थे। इस घड़ी में विभिन्न जगहों पर ट्यूटर, अपने इलाकों में रहनेवाले छात्रों के संपर्क में रहे और उन्होंने छात्रों को कोविड स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए पढ़ाई जारी रखने में मदद की। ट्यूटर, खुद भारी आर्थिक संकट का सामना करने के बावजूद छात्रों के माता-पिता की सामाजिक-आर्थिक दयनीय स्थिति को देखते हुए अल्प या बिना पारिश्रमिक के अपने कर्तव्यों का पालन लगातार करते आये हैं।
इनमें से कुछ शिक्षक जो, नृत्य और अन्य प्रदर्शन कलाओं से जुड़े हैं, वे कोरोना के समय शहर के बाहर रहने के कारण ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था नहीं कर सके। हमारी मांगे :A. पूरे देश में आरटीई अधिनियम 2009 का जल्द से जल्द क्रियान्वयन करना। B. सरकारी और सरकार द्वारा प्रायोजित स्कूलों के अधिकांश शिक्षक, मौजूदा समय में निजी ट्यूशन कक्षाओं में जुड़े होने के कारण निर्धारित समय पर स्कूलों में निर्धारित पाठ्यक्रम को पूरा करने में असमर्थ हो रहे हैं। इसके कारण वे लगातार आरटीई एक्ट 2009 की धारा 24 और धारा 28 का उल्लंघन कर रहे हैं।
C. टीडब्लूएआई के गठन से पहले इस नवगठित संगठन के सदस्यों की तरफ से स्कूलों के प्रधानाध्यापकों, प्रबंध समितियों के अध्यक्ष, विभिन्न पार्षदों, नगर पालिकाओं के अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष, ब्लॉक विकास अधिकारियों, जिला मजिस्ट्रेटों, डीआई को इस नीति के खिलाफ ज्ञातन सौंप चुके हैं। पश्चिम बंगाल काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष, विकास भवन की सातवीं मंजिल पर स्कूल शिक्षा निदेशक के दफ्तर में, एनसीपीसीआर, डब्ल्यूबीसीपीसीआर और तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को
टीडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष स्वपन दत्ता (उज्ज्वल) का कहना हैं, मौजूदा समय में देश की शिक्षा प्रणाली में घर कर गये भ्रष्टाचार को मिटाने के साथ एक शिक्षित समाज का गठन करने में अहम योगदाम देने वाले शिक्षकों एवं शिक्षा के स्तर की बेहतरी के लिए सरकार को शिक्षित समाज के निर्माण में गुमनाम शिक्षकों के योगदान की भी सराहना करनी चाहिए। शिक्षक, समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए शिक्षित समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसके बावजूद वे आज तक सरकारी उपेक्षा का पात्र बने हैं और आज भी वे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से बाहर हैं।
मौजूदा समय में कोरोना महामारी के कारण आज अधिकतर शिक्षण संस्थान बंद हैं। ऑनलाइन कक्षाएं केवल शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित हो गयी थी। जब ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के एक बड़े वर्ग में अधिकांश छात्रों के पास कोई स्मार्ट फोन नहीं होने के कारण वे ऑनलाइन कक्षा में शामिल नहीं हो पाते थे। इस घड़ी में विभिन्न जगहों पर ट्यूटर, अपने इलाकों में रहनेवाले छात्रों के संपर्क में रहे और उन्होंने छात्रों को कोविड स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए पढ़ाई जारी रखने में मदद की। ट्यूटर, खुद भारी आर्थिक संकट का सामना करने के बावजूद छात्रों के माता-पिता की सामाजिक-आर्थिक दयनीय स्थिति को देखते हुए अल्प या बिना पारिश्रमिक के अपने कर्तव्यों का पालन लगातार करते आये हैं।
इनमें से कुछ शिक्षक जो, नृत्य और अन्य प्रदर्शन कलाओं से जुड़े हैं, वे कोरोना के समय शहर के बाहर रहने के कारण ऑनलाइन कक्षाओं की व्यवस्था नहीं कर सके। हमारी मांगे :A. पूरे देश में आरटीई अधिनियम 2009 का जल्द से जल्द क्रियान्वयन करना। B. सरकारी और सरकार द्वारा प्रायोजित स्कूलों के अधिकांश शिक्षक, मौजूदा समय में निजी ट्यूशन कक्षाओं में जुड़े होने के कारण निर्धारित समय पर स्कूलों में निर्धारित पाठ्यक्रम को पूरा करने में असमर्थ हो रहे हैं। इसके कारण वे लगातार आरटीई एक्ट 2009 की धारा 24 और धारा 28 का उल्लंघन कर रहे हैं।
C. टीडब्लूएआई के गठन से पहले इस नवगठित संगठन के सदस्यों की तरफ से स्कूलों के प्रधानाध्यापकों, प्रबंध समितियों के अध्यक्ष, विभिन्न पार्षदों, नगर पालिकाओं के अध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष, ब्लॉक विकास अधिकारियों, जिला मजिस्ट्रेटों, डीआई को इस नीति के खिलाफ ज्ञातन सौंप चुके हैं। पश्चिम बंगाल काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के अध्यक्ष, विकास भवन की सातवीं मंजिल पर स्कूल शिक्षा निदेशक के दफ्तर में, एनसीपीसीआर, डब्ल्यूबीसीपीसीआर और तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को
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