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हिम्स हॉस्पिटल और श्रीधर यूनीवर्सिटी ने ‘द इन्विज़बल मेडिसिन’ का प्रशिक्षण किया लांच

० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली। हिम्स हॉस्पिटल और श्रीधर यूनीवर्सिटी के सौजन्य से इवेंट ‘द इन्विज़बल मेडिसिन’ का प्रशिक्षण लांच किया गया। यह प्रशिक्षण लांच कार्यक्रम कॉपरनिकस मार्ग, मंडी हाउस पर स्थित भव्य एलटीजी ऑडीटोरियम में संपन्न हुआ। इस इवेंट में भाग लेने वाले सभी पत्रकारों और उनके परिवारजन के लिए शुद्धि आयुर्वेदिक की ओर से निःशुल्क मेडिकल कैंप भी लगाया गया और उन्हें आयुवेर्दिक दवाएँ भी दी गईं।
श्रीधर यूनीवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. ओमप्रकाश गुप्ता कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। हिम्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर्स, प्रोमोटर्स के अतिरिक्त आचार्य मनीष डॉ बिस्वरूप राय चौधरी और डॉ. अवधेश पांडे भी इवेंट में शामिल हुए। आरंभ में डॉ बिस्वरूप राय चौधरी ने ‘द साइंस ऑफ पॉस्च्युरल मेडिसन’ को पुनः प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हॉट वाटर इमर्शन (गर्म पानी से भरे टब में बैठना) के माध्यम से लाखों लोग किस तरह अपने रोगों की चिकित्सा करने में सफल रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस पद्धति के माध्यम से डायलसिस, कैंसर, पार्किन्सन तथा अन्य न्यूरो डिजेनेरेटिव रोगों को भी दूर किया जा सकता है। ‘द साइंस ऑफ पॉस्च्युरल मेडिसन’ बहुत ही रोचक विज्ञान है जो लॉ ऑफ़ ग्रेविटी पर आधारित है। इसकी सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह हमें पूरी तरह से निःशुल्क मिलता है।
गरीब से गरीब व्यक्ति भी दो या तीन हज़ार रुपए तक खर्च करके, बिना किसी की मदद के अपने लिए चिकित्सा पद्धति का प्रयोग कर सकता है। इसके लिए आपको किन्हीं विशेष उपकरणों या साधनों की आवश्यकता नहीं है। किसी कबाड़ी से खरीदा गया टूटा हुआ फ्रिज, सिंटेक्स का टैंक काम आ सकता है। यदि यह भी संभव न हो तो गड्ढा खोद कर भी उसमें अपने लिए गर्म पानी में लेटने की व्यवस्था की जा सकती है। इस जगह ग्रेविटी ही मेडिसिन का काम करती है।

इस तरह उपचार करते हुए किसी तरह की दवा नहीं लेनी पड़ती, कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होता। इवेंट में बारह वीडियो शेयर किए गए, ये वीडियो उन टॉप बारह आइडिया के थे, जिनके द्वारा हॉट वाटर इमर्शन उपचार किया जा सकता है। हमारे इन रोगियों के वीडियोज़ में आइडिया दिए गए कि आप किन अलग-अलग तरीकों से अपने लिए हॉट वाटर टब तैयार कर सकते हैं ताकि इस चिकित्सा पद्धति का लाभ मिल सके। उन्होंने साबित कर दिया कि अब आपको किडनी फेलियर, कैंसर, न्यूरो डिजेनेरेटिव रोगों आदि के लिए किसी महंगे अस्पताल में जाने की आवश्यकता नहीं। हमारी यह इन्विज़बल मेडिसिन तत्काल आराम देगी।

दूसरी इन्विज़बल मेडिसन है, हीटइवेंट में ‘द हीट प्रोटोकॉल’ नामक पुस्तक का लांच भी किया गया। ‘द हीट प्रोटोकाल’ पुस्तक में हीट को मेडिसिन के रूप में प्रयुक्त करना सिखाया गया है। जिसके माध्यम से फ्लू, कोविड या फिर श्वसन तंत्र से जुड़े किसी भी रोग को आसानी से दूर किया जा सकता है।डॉ बिस्वरूप राय चौधरी ने बताया कि अगर बुखार, जुकाम, बदन दर्द या कमजोरी जैसे लक्षण सामने आते ही यह उपचार कर लिया जाए तो रोग को ठीक होने में समय नहीं लगता और उपचार आरंभ करते ही रोगी को दो घंटे में ही आराम आने लगता है। यह दवा भी पूरी तरह से निःशुल्क, वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित और तत्काल असर दिखाने वाली है।

इसके उपचार की जो विधि पुस्तक में दी गई है, उसे दर्शकों को भी सिखाया गया ताकि वे भी ज़रूरत पड़ने पर इसका प्रयोग कर सकें।इसके बाद एक और इन्विज़बल दवा का परिचय दिया गया। दर्शकों को बताया गया कि हम वाइब्रेशन को भी दवा के रूप में प्रयुक्त कर सकते हैं।उसके बाद श्रीधर यूनीवर्सिटी के साथ एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टेंडिंग पर हस्ताक्षर किए गए जिसमें यूनीवर्सिटी का प्रतिनिधित्व करने के लिए रजिस्टरार डॉ. ओ.पी. गुप्ता तथा वाइब्रेशन एज़ मेडिसिन का परिचय देने वाले विशेषज्ञ कैप्टन अरविंद सिंह और डॉ. अवधेश पांडे मौजूद थे। यह तय किया गया कि मार्च के महीने से दो माह का ऑनलाइन कोर्स चालू किया जाएगा जिसमें वाइब्रेशन एज मेडिसिन का प्रयोग करना सिखाया जाएगा।

वाइब्रेशन एज़ मेडिसिन का परिचय देते हुए एक उदाहरण दिया गया कि जिस तरह किसी ऑर्केस्ट्रा में यदि सारे संगीतज्ञ गुणी होने के बावजूद आपस में उचित तालमेल के साथ संगीत न बजा रहे हों तो संगीत के स्थान पर केवल शोर ही सुनाई देता है। उसी तरह यदि किसी व्यक्ति के सभी अंग सही तरह से काम कर रहे हों परंतु उनके बीच आपसी तालमेल न हो तो वह स्वयं को रोगी ही महसूस करता रहेगा। वाइब्रेशन एज़ मेडिसिन भी एक मुफ़्त मिलने वाली चिकित्सा है जिसे कोई भी, कहीं भी बिना किसी की मदद के स्वयं कर सकता है।

अंत में श्रीधर यूनीवर्सिटी का दीक्षांत समारोह हुआ जिसमें दो माह के ऑनलाइन कोर्स, ‘एमर्जेंसी एंड पेन मैनजमेंट’ कोर्स को पास करने वाले छात्रों को सर्टिफिकेट दिए गए। इस कोर्स में देश-विदेश से लगभग एक हज़ार छात्रों ने भाग लिया था। उनमें से टॉप सौ छात्रों को एलटीजी ऑडिटोरियम में बुला कर कोर्स पूरा करने का सर्टिफिकेट दिया गया।
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