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कवि अंबर अतीत में नहीं जाते यथार्थ से टकराते हैं-विजय बहादुर सिंह

० अर्चना पांडे ० 

भोपाल -  कवि अंबर अतीत में नहीं जाते यथार्थ से टकराते हैंयह उद्गार हिंदी के वरिष्ठ कवि विजय बहादुर सिंह ने  विजय वर्मा की पुण्यतिथि पर आयोजित हेमंत फाउंडेशन के पुरस्कार "हेमंत स्मृति कविता सम्मान" समारोह में अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में व्यक्त किए। उन्होंने कवि अंबर की कुछ पढ़ी कविताओं का जिक्र करते हुए कहा कि "कविताएं बहुत सार्थक हैं। लेकिन पुरस्कार के पश्चात संभावनाएं क्षीण नहीं होनी चाहिए ।और कवि को अपने अध्ययन क्षेत्र को और भी आगे बढ़ाते रहना चाहिए"

कार्यक्रम का आरंभ सुनीता शर्मा के द्वारा गाई सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था की संस्थापक/अध्यक्ष वरिष्ठ लेखिका संतोष श्रीवास्तव ने कहा " 23 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गये हेमंत की कविताओं में प्रेम, संघर्ष, द्वंद और जीवन और प्रतिरोध की गहन और लंबे समय तक अपना असर छोड़ने वाली कविताएं हैं ।कहते हैं मृत्यु प्रकृति का अंतर्विरोध है इसे सहना ही होगा। यही सहना यही बर्दाश्त है हेमंत स्मृति कविता सम्मान ।" उन्होंने कहा कि आज यह बीसवां  पुरस्कार अंबर पांडेय को उनके कविता संग्रह कोलाहल की कविताएं के लिये दिया जा रहा है।

आयोजन की प्रस्तावना एवं संस्था का परिचय संस्था की संस्थापक/ सचिव साहित्यकार प्रमिला वर्मा ने दिया- उन्होंने संस्था के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी कि कैसे हम निरंतर आगे बढ़ते रहे और आज यह पुरस्कार पूरी प्रतिष्ठा से बीस वर्ष का हो चुका है।प्रमुख वक्ता आशुतोष दुबे जी ने कहा-"अंबर पांडेय की भाषा और शब्दावली ध्यान खींचती है। उनकी विचलन की भाषा है। प्राचीन तथ्यों का उत्खनन करते हुए पुनः विचार करने को प्रेरित करती है। उन्होंने साहित्य की लकीरों को छोड़कर अपनी भाषा रची है।"

अंबर पांडेय ने अपनी बेहद महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया उन्होंने संस्था को धन्यवाद देते हुए कहा कि आज यह मेरे लिए महत्वपूर्ण अवसर है।विशिष्ट अतिथि ओम निश्चल जी ने हेमंत फाउंडेशन के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा" कि बहुत परिश्रम निष्पक्षता से कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। लगभग बीस वर्षों से विभिन्न युवाओं को इस सम्मान के लिए चुना जाना प्रशंसनीय  है। उन्होंने कवि की प्रशंसा करते हुए कहा कि कवि ऐसी भाषा से अर्थ को जोड़ता है जिस प्रकार धान तोड़ते हुए उसे अक्षत रखा जाता है।"अनुराधा सिंह ने अंबर की कुछ कविताओं का पाठ किया और गंभीर समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत की।

सारस्वत अतिथि गिरीश पंकज जी ने "अंबर पांडे की कविताओं की समीक्षा करते हुए उनकी कविताओं का उल्लेख किया। साथ ही कविताओं में इतिहास बोध को वर्तमान से जोड़ते हुए अनैतिकता का विमर्श भी सामने रखा। उन्होंने कहा कि कवि का गहरा काव्य विवेक अभिभूत करता है।"मुख्य अतिथि प्रमोद कुमार गोविल जी ने कहा कि" हेमंत की स्मृतियों को इस संस्था ने अक्षुण्ण बनाए रखने का जो बीड़ा उठाया है वह प्रशंसनीय है।"कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती रूपेंद्र राज तिवारी ने किया। उनके संचालन ने सभी श्रोताओं को बांधे रखा। आभार डॉ संजीव कुमार ने दिया।इस ऑनलाइन समारोह में साठ के लगभग उपस्थिति महत्वपूर्ण रही। जिसमें देशभर के जाने-माने विद्वदजन ,लेखक ,पत्रकार ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ।

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