Halloween Costume ideas 2015

संतोष श्रीवास्तव के सद्य कथा संग्रह "अमलतास तुम फूले क्यों" का लोकार्पण एवं समीक्षा गोष्ठी


० संवाददाता द्वारा ० 

 "धर्मयुग के जमाने से पढ़ता आ रहा हूं संतोष श्रीवास्तव की कहानियाँ" लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

भोपाल - सर्वप्रिय प्रकाशन एवं छत्तीसगढ़ मित्र के संयुक्त तत्वावधान में वरिष्ठ लेखिका संतोष श्रीवास्तव के सद्य प्रकाशित कथा संग्रह "अमलतास तुम फूले क्यों" का लोकार्पण एवं समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गई।प्रकाशकीय वक्तव्य में वरिष्ठ लेखक, संपादक, पत्रकार डॉ सुधीर शर्मा ने बताया कि उन्होंने संतोष श्रीवास्तव से उनके कथा संग्रह की पांडुलिपि प्रकाशन के लिए आमंत्रित की  पुस्तक के शीर्षक  के चयन का जिम्मा भी लिया ।इस संग्रह की कहानियां समय की नब्ज पकड़ती हैं और पाठक के अंदर पढ़ने की जिज्ञासा जगाती हैं

कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ लेखक, व्यंग्यकार, पत्रकार ,संपादक ,( सद्भावना दर्पण )गिरीश पंकज ने कहा -"समकालीन कहानियों का परिदृश्य निराश करता है। आजकल जो भी लिखा जा रहा है, अराजकता को महिमा मंडित करके लिखा जा रहा है। ऐसे में संतोष श्रीवास्तव की कहानियां यह सिद्ध करती हैं कि अभी सब कुछ नष्ट नहीं हुआ है, अभी मूल्य बचे हैं। समाज में फैले आतंक और गिरते मूल्यों के समय में संतोष  अगर प्रेम की बात रखती हैं तो सामाजिक सरोकारों की वह जीवंत परिणति है। संग्रह की सभी कहानियां विभिन्न कथानको पर लिखी गई हैं जो चेतना को झकझोरती हैं। एक तरह से  कहा जाए तो यह  मनुष्य को बेहतर मनुष्य बनाने की दिशा में उठाया लेखकीय कदम है।"

प्रमुख वक्ता पत्रकार वरिष्ठ लेखिका प्रमिला वर्मा ने कहा-"मैं मानती हूं की कहानी की पहली शर्त कहानी में कहानीपन एवं रोचकता होनी चाहिए। संतोष की कहानियों में रोचकता बराबर बनी रहती है ।चाहे हम उनकी कहानी पढ़ रहे हों या सुन रहे हों। हम पूरी कहानी सुनने या पढ़ने को बाध्य हो जाते हैं । क्योंकि कहानी में कहानीपन है। उनकी कहानी चाहे लंबी हो या छोटी हो पाठक कहीं भी ऊबता नहीं है। यह लेखिका की विशेषता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि ,पत्रकार ,संपादक (साहित्य अमृत ) लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने धर्मयुग के दिनों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने संतोष श्रीवास्तव की कहानियां धर्मयुग सारिका में पढ़ी हैं। संतोष हमेशा कहानी के पात्रों की द्वंद पीड़ा को देखते हुए ज्वलंत विषयों पर कहानी लिखती हैं ।अन्य भाषाओं की कहानियों में विविध विषय रहते हैं लेकिन इसका अभाव अक्सर हिंदी कहानियों में देखा गया जबकि संतोष की कहानियां विविध विषयों पर आधारित रहती हैं ।आज जबकि घृणा की सुनामी आई हुई है, धर्म विशेष की हत्या का माहौल बना हुआ है। ऐसे में निगरानी कहानी कहानी के कहन को ऊंचाई के शिखर पर ले जाती है। संग्रह में जहां मर्सी किलिंग की कहानियां है, सड़क दुर्घटना की कहानी है ,वृद्ध मन की कहानी धुंध और बाढ़ है वहीं एक और कारगिल जैसी कहानी भी है जो साहस और जोखिम की कहानी है ।संतोष की कलम जादू का काम करती है ।सम्मोहन जगाती है। 

प्रमुख वक्ता  वरिष्ठ कथाकार, अनुवादक सुभाष नीरव ने भी इस बात को स्वीकार किया कि धर्म युग के समय से ही संतोष जी की कहानियां मेरे आस-पास रहीं क्योंकि वह कविता भी लिखती हैं अतः उनके गद्य में काव्य का सौंदर्य भी देखा जा सकता है जो आनंद की अनुभूति कराता है। संवेदना के तार से जुड़ी मार्मिक कहानियां  जो पाठक को भावुक ही नहीं करतीं बल्कि इंसानियत के स्तर पर मजबूत बनाती हैं,सहायक की भूमिका अदा करती है ।सवाल खड़े करती हैं। सवाल खड़े करके कहानियां लंबी यात्रा करती हैं।अक्सर उनकी कहानी का अंत चौकाता है।  वे  पानी की ऊपरी सतह से कहानी के विषय नहीं उठाती बल्कि पानी में डुबकी लगाकर यथार्थ को तलाशती हैंसंतोष श्रीवास्तव ने अपने लेखकीय वक्तव्य में इस संग्रह में प्रकाशित कहानी "कटघरे से बाहर" और "शहीद खुर्शीद बी " से संबंधित रोचक प्रसंगों को सुनाय कार्यक्रम का कुशल संचालन कवयित्री नीता श्रीवास्तव ने किया।कार्यक्रम में विभिन्न शहरों से आए लगभग 40 लोगों की उपस्थिति रही।

Labels:

एक टिप्पणी भेजें

MKRdezign

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget