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सर्दी के मौसम में 50 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं ज्वॉइंट पेन के मामले


० आशा पटेल ० 

जयपुर। जैसे-जैसे सर्दी का सितम बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे लोगों की जोड़ों के दर्द की परेशानी बढ़ती जा रही है। क्योंकि सर्दी का मौसम जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों की समस्या को और बढ़ा देता है। सर्दी के मौसम में शरीर में खून अच्छी तरह से संचरित नहीं हो पाता है, जिसके कारण खून का बहाव अगले भागों में बहुत कम हो जाता है, यही कारण है कि इस मौसम में लगी हल्की सी चोट भी बहुत दर्द देती है। वहीं जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों का सर्दियों के मौसम में दर्द इस कदर बढ़ जाता है कि उनका चलना फिरना, उठना बैठना सब मुश्किल हो जाता है, साथ में अकड़न और सूजन दिक्कत को कई गुना बढ़ा देती है। जानकारी के अनुसार ठंड के मौसम में अर्थराइटिस और हड्डियों से जुड़ी परेशानी के मामले 50 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं।

डॉ. विनय सिंह, हड्डी एवं जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ, निम्स हॉस्पिटल जयपुर ने बताया कि सर्दी के मौसम में जोड़ों में दर्द की परेशानी काफी ज्यादा हो सकती है। मौसम से संबंधित जोड़ों का दर्द आमतौर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटाइइड गठिया से पीड़ित रोगियों में देखा जाता है और यह आमतौर पर कूल्हों, घुटनों, कोहनी, कंधों और हाथों को प्रभावित करता है। दरअसल सर्दी में तापमान कम होने से मांसपेशियों में खिचाव होने लगता है. जिस वजह से जोड़ों के आस-पास की नसों में सूजन आने लगती है, इससे मांसपेशियों में अकड़न महसूस होने लगती है और जोड़ों में दर्द बढ़ने लगता है। हालांकि बीमारी के शुरुआती चरण में अगर हम अपनी लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव लाए और अपनी दिनचर्या में कुछ एक्सरसाइजेस को शामिल करें तो ज्वॉइंट पेन की स्थिति में काफी आराम पाया जा सकता है और इस बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता है।

डॉ. विनय सिंह ने बताया कि सर्दियों में शरीर हार्ट के पास के खून को गर्म रखना चाहता है और इसके कारण जाइंट्स में खून का सर्कुलेशन कम हो जाता है, इसके कारण जोड़ों में अधिक दर्द और जकड़न होती है। सर्दियों में उन लोगों को जोड़ों में अधिक दर्द होता है जिन्हें पहले कभी आर्थोपेडिक संबंधी चोट लगी हो, फ्रैक्चर या मोच की समस्या हुई हो या जिनकी हड्डियों को जोड़ा गया हो। सर्दी में नसों में खिंचाव आने, जोड़ों में कसाव आने या फिर दर्द की शिकायत हो तो तुरंत अनुभवी चिकित्सकों से समय रहते परामर्श व उपचार लेना चाहिए। वहीं अगर इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो जितना संभव हो उतना सक्रिय रहें, खूब पानी पिएं और बिना वजन वाले व्यायाम और स्ट्रेचिंग करके जोड़ों को सक्रिय रखें। अगर बीमारी का शुरुआत में ही पता चल जाए तो इसे दवा से ठीक किया जा सकता है।
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