० नूरुद्दीन अंसारी ०
नई दिल्ली -वेदांता के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नंद घर’ के तहत भारत के 12 राज्यों में 3000 नंद घर बनने की ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई है। नंद घर दुनिया के प्रमुख धातु और खनन समूहों में से एक वेदांता ग्रुप की मानव कल्याण शाखा अनिल अग्रवाल फाउंडेशन के तत्वावधान में सेवारत अग्रणी सीएसआर प्रोजेक्ट है।
नंद घर की स्थापना केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से की जाती है और आधुनिक ‘आंगनबाड़ी’ के रूप में वे महिलाओं के लिए पोषण, बच्चों की आरंभिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और कौशल विकास के लिए काम करते हैं। वेदांता का संकल्प पूरे भारत में 4000 नंद घर बनाने का है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत में 13.7 लाख आंगनबाड़ियों में 7 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं को बेहतर जिन्दगी मिलेगी।नंद घर के साथ वेदांता प्रौद्योगिकी का लाभ लेकर शहरी और ग्रामीण जीवन की असमानता दूर कर रही है, बुनियादी ढांचे को अपग्रेड कर अत्याधुनिक बना रही है, अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की क्षमता बढ़ा रही है और आंगनबाड़ी व्यवस्था में समग्र सेवा आपूर्ति में महत्वपूर्ण सुधार के लिए डिजिटल रीयल टाइम मॉनिटरिंग सुनिश्चित कर रही है।.
वेदांता ग्रुप के फाउंडर और चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा, ‘‘नंद घर प्रोजेक्ट मेरे दिल में बसा है। भारत के 12 राज्यों में 3000 नंद घर बनने और बुनियादी स्तर पर इनका बढ़ता प्रभाव देख कर मुझे बहुत खुशी होती है। नंद घर ग्रामीण महिलाओं और बच्चांे को बेहतर जिन्दगी देकर हमारे देश की नींव मजबूत करेंगे। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ हम माननीय प्रधान मंत्री के सपने पूरे करने की ओर अग्रसर हैं जो यह चाहते हैं कुपोषण उन्मूलन, ग्रामीण महिला स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा एवं कौशल विकास और समग्र सामाजिक विकास हो। हमारा प्रोजेक्ट समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।’’
महामारी के पिछले 20 महीनों में नंद घरों के लाभार्थियों में जन-जन तक सेवा पहंुचे यह सुनिश्चित की गई और अधिक प्रभावी होने के लिए नंद घरों ने नए उद्देश्य भी अपनाए। नियमित काम-काज में आमूल परिवर्तन कर नंद घरों ने समयानुकूल अपनी सेवा आपूर्ति में बदलाव किए। कक्षा के बदले घर पर शिक्षा देने के लिए नंद घर ने बहुत कम समय में व्हाट्सएप और आईवीआरएस के माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था की ताकि शिक्षा की निरंतरता बनी रहे। महामारी के दौर में नंद घर के लाभार्थियों के घर पर सूखे राशन की आपूर्ति और ‘टेक-होम’ की व्यवस्था भी की गई। इसके अतिरिक्त नंद घर परिसर और सामुदायिक क्षेत्रों में 3300 से अधिक पोषण उद्यान बनाए गए ताकि समुदाय के लोगों का निरंतर पोषण सुनिश्चित हो। महामारी के दौर में नंद घर ने स्थानीय रोजगार पैदा करने के लिए महिलाओं को मास्क और स्थानीय जरूरतों की वस्तुएं तैयार करने का प्रशिक्षण दिया। इससे स्थानीय लोगों की घरेलू आय 4000 रु. तक बढ़ गई।
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