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इमोशनल हेल्‍थ का ध्‍यान रक्ख्रें – बी के शिवानी

० आशा पटेल ० 

जयपुर : जयपुर में तीन दिनों तक चलने वाले वर्ल्‍ड हेल्‍थ एंड वेबीइंग फेस्‍ट का समापन हो गया .इस इवेंट के पहले संस्‍करण में 20 से अधिक देशों के प्रतिनिधि आए और उन्‍होंने आकर्षक सत्रों में भाग लिया। इन 3 दिनों में 100 से अधिक स्‍पीकर्स ने 30 से अधिक सत्रों में कई सारे विषयों पर अपने बहुमूल्‍य विचार साझा किए। डब्‍ल्‍यूएचडब्‍ल्‍यूएफ के को-फाउंडर मुकेश मिश्रा ने कहा ''हमारा यह प्रयास रहा कि हम भारत में एक ऐसा मंच तैयार करें जो हेल्‍थ और वेलनेस के महत्व को उजागर करे और हमारी दौड़ती-भागती जिंदगी के कारण जो हेल्‍थ से जुड़ी कई तरह की समस्‍याएं पैदा हो रही हैं और हम कुछ आसान दैनिक अभ्‍यासों की सहायता से उन पर कैसे काबू पा सकते हैं उस ओर आम आदमी का ध्यान खींचे।

डब्‍ल्‍यूएचडब्‍ल्‍यूएफ के को-फाउंडर पंडित मुकेश भारद्वाज ने कहा कि “मैं जयपुर शहर, यहां के लोगों, सभी गणमान्य व्यक्तियों, वक्ताओं, मॉडरेटरों और उपस्थित लोगों का आभारी हूं, जिन्होंने इस मंच के लिए हमारे नजरिए को समझा और इस आयोजन का हिस्सा बनने के लिए सहमत हुए। उनके सहयोग के बिना इतना बड़ा आयोजन संभव नहीं था। इस आयोजन की सफलता ही हमें इससे भी बड़े आकार के आयोजन के साथ फिर से वापस आने के लिए हिम्‍मत देती है।"

पत्रकार अभिज्ञान प्रकाश द्वारा लाइफ ऑफ ए अनकॉमन मैन सत्र ने पूरे दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अभिज्ञान जी ने अपने जीवन से जुड़ी कई कहानियां और घटनाएं और अपने विचार साझा किए कि कैसे आज के समय में सच्ची पत्रकारिता लगभग न के बराबर है और सच्ची पत्रकारिता करना भी लगभग असंभव हो गया है। शुरूआत योगऋषि विश्‍वकेतु के द्वारा योग सत्र के साथ हुई जिसके बाद लूलू बरटन और लौरा हॉफ ने विम हॉफ सत्र लिया जिसमें उन्‍होंने कोल्‍ड एक्‍सपोजर की थ्‍योरी के बारे में बताया और उसके बाद प्रतिभागियों को आई बाथ लेने में सहायता की।

बी के शिवानी  ने वेलनेस मंत्र और कैसे अपने शरीर और आत्‍मा का ध्‍यान रख कर अच्‍छा हेल्‍थ और वेलबीइंग पाया जा सकता है और कैसे इन्‍हें दैनिक अभ्‍यास और ध्‍यान के द्वारा इसकी देखभाल की जा सकती है इस पर बहुमूल्‍य सुझाव दिए और अपने विचार बताए वैद्य राजेश कोटेचा और डॉ. श्रीकांत, डारेक्‍टर जनरल, सीसीआरएएस द्वारा लिया गया आयुष- हेल्‍थ और वेलनेस सत्र दर्शकों को अपने प्राचीन इतिहास में ले गया और इसमें दिखाया गया कि कैसे आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सो-रिग्पा और होम्योपैथी की मदद से घरेलू चिकित्‍सा के प्रयोग ने कई बीमारियों का इलाज किया है जोकि आधुनिक विज्ञान का आधार है और अभी भी कई ऐसी बीमारियों का इलाज इनके द्वारा किया जा सकता है जो आधुनिक चिकित्‍सा में अभी भी संभव नहीं है।

इससे पहले के सत्र की तरह ही बैक टू नेचर सत्र में योगिषी विश्वकेतु, मारिएलेन वार्ड, और अलेक्जेंडर स्पोगलर ने हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कैसे प्रकृति मानव सभ्यता के लिए लगातार प्रेरणा का स्रोत, गाइड, मेंटर, टीचर, मित्र रही है, इन चीजों के बारे में बताया। डॉ. रेखा शर्मा, गिरधर गोपाल और डॉ. रूपराज भारद्वाज दर्शकों को एक फुड जर्नी पर ले गए। इस सत्र का फोकस उन खास इंग्रीडिएंट और व्‍यंजनों पर था जो ट्रेडिशनल इंग्रीडिएंट का इस्‍तेमाल कर घर पर तैयार किया जा सकता है जो आज की हमारी भाग-दौड़ भरी लाइफ में हमारी काफी मदद कर रही हैं। इस सत्र में ऐसे इंग्रीडिएंट और खानों के बारे में भी चर्चा की गई जो डायबिटीज जैसी बीमारियों को दूर रखने में मदद सकती है जिसका आज भारत वर्ल्‍ड कैपिटल बन चुका है।

जगदीश चंद्रा ने लाइफस्‍टाइल में छोटे-छोटे बदलाव कर और अपने शरीर का आदर कर तथा मंदिर की तरह इसकी पूंजा कर कैसे हम उम्र को हरा सकते हैं और मेंटली और फीजिकली एक्टिव रह सकते हैं इस पर चर्चा की और कुछ उपाय बताए। दीप नारायण पाण्‍डेय, प्रो. बनवारी लाल गौर, और डॉ. राजेश कुमार शर्मा ने आयुर्वेद के भविष्य और उन नए तरीकों पर चर्चा की जिनकी सहायता से आयुर्वेद के बारे में लोगों के बीच जानकारी फैलाई जा सकती है। सत्र में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कैसे आयुर्वेद धीरे-धीरे लोगों का ध्यान खींच रहा है और उनकी बीमारी और वेलनेस दोनों से जुड़े सवालों का जबाव दे रहा है।

अगला सत्र भी अच्‍छे हेल्‍थ के इर्द-गिर्द ही रहा। करंट पेंडेमिक – डिफाइनिंग हेल्‍थ इन ए न्‍यू वे सत्र में डॉ अंकित बंसल, डॉ विकास गुप्ता, डॉ राहुल शर्मा और डॉ संजय चौधरी शामिल रहे। पिछले कुछ दशकों में लोगों ने इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में संतुलन बनाने के लिए अपने हेल्‍थ पर ध्‍यान देना कम कर दिया था और पैसा कमाने के अंधे दौड़ में लग गए थ लेकिन इस महामारी ने हर किसी को मेंटल और फीजिकल दोनों तरह से अच्‍छे हेल्‍थ के महत्‍व को समझा दिया है। इस सेशन में इस चीज के बारे में भी बताया गया कि अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य पाने के लिए हम कुछ समय तक मेहनत करें और फिर उसे भूल जाएं ये नहीं चल सकता है बल्कि यह हमारे डेली लाइफस्‍टाइल का हिस्‍सा होना चाहिए।

दिन के अंतिम तीन सत्र आज के दिन के सबसे आकर्षक सत्र रहे जिसमें भारी संख्‍या में दर्शकों ने भाग लिया। और व्यापक रूप से भाग लेने वाले सत्र थे। इसमें पहले सत्र चाइल्‍ड हेल्‍थ एंड वेलनेस इन करंट सीनेरियो में डॉ. संजय आर्य और डॉ. प्रमिला संजय शामिल हुए जिन्‍होंने इस कोरोना काल में बच्‍चों से जुड़ी प्रमुख हेल्‍थ मामलों और इसने किस प्रकार से बच्‍चों के विकास को प्रभावित किया है उस पर अपने विचार रखे। इस सत्र का संचालन डॉ. तरुण पटनी ने किया। इस सत्र में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कैसे कोरोना ने बच्‍चों के इमोशनल और साइकोलॉजी, उनकी पढ़ाई को प्रभावित किया है और कैसे किसी बच्‍चे का वेलनेस परिवार, समाज और देश को प्रभावित करता है। इस सत्र में बच्चों के लिए आज कल पालन की जाने वाली टीकाकरण रणनीति और यूनिसेफ के उन मुख्‍य हेल्‍थ पैरामीटर और लक्ष्यों पर भी जानकारी दी गई जिन्हें भारत द्वारा प्राप्त किया जाना है।

अगला सत्र अनूप बरतारिया और आनंद मिश्रा द्वारा ट्रू वेलनेस विदिन माई सिटी माई होम पर था। इस सत्र में इस बात पर जोर दिया गया कि बीमारी से मुक्त रहने के लिए हमें हेल्‍दी माइंड और हेल्‍दी बॉडी की जरूरत है। मन, शरीर और आत्मा वेलनेसके लिए एक दूसरे से जुड़े पैरामीटर हैं। हेल्‍थ और वेलबीइंग ऐसी चीज है जिस पर हमारा काम करना निर्भर करता है इसलिए इन पर ध्‍यान दिया जाना बहुत जरूरी है। साधारण शब्‍दों में कहा जाए जो तो हमारा ध्‍यान हमेशा दिखने वाले लाभों पर होता है जिससे हमें फायदा हो। वेलनेस के मामले में, जो फायदे हमें दिख रहे हैं उनका काफी महत्‍व है क्‍योंकि इसके द्वारा हमें वो फायदे मिल सकते हैं जो हमारे लिए बहुत जरूरी हैं। आज के समय में, लोगों को एक हेल्‍दी पॉल्‍यूशन फ्री माहौल और एक अच्‍छे घर की जरूरत समझ में आई है और एक हेल्‍दी सिटी में एक हेल्‍दी घर वहां रह रहे लोगों और नागरिकों के लिए एक अच्‍छा हेल्‍थ, मन की शांति और खुशियां ले कर आता है।

दिन का अंतिम सत्र हार्ट हेल्‍थ इन 2020 पर जिसमें डॉ. समीन के शर्मा, माउंट सिनाई, न्यूयॉर्क के एक विश्व-प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्‍ट, डॉ. विजय पाठक, सीनियर प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी, एसएमएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, जयपुर और डॉ. जी एल शर्मा, डायरेक्टर- जयपुर हार्ट इंस्टीट्यूट, जयपुर ने भाग लिया । इस सत्र का संचालन डॉ संजीव शर्मा, निदेशक - कार्डियोलॉजी, इटरनल हॉस्पिटल, जयपुर ने किया। इस सत्र में दिल से जुड़ी साधारण बीमारियों, यूथ में दिल से जुड़ी बीमारी होने के क्‍या कारण हैं, दिल के दौरे के सामान्य लक्षण और एक हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल दिल से जुड़ी बामारियों के होने को कैसे रोक सकती है, इसके बारे में बताया गया। इस सत्र में एंजियोप्लास्टी की नई तकनीकों - 
कैल्सीफाइड ब्लॉकेज, इमेजिंग गाइडेड एंजियोप्लास्टी कैसे परिणाम में सुधार करती है, वाल्वुलर दिल की बीमारी के उपचार में नई प्रगति, ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन और यह कैसे ऑरटिक स्टेनोसिस रोगियों के लिए वरदान साबित हुआ है, इन पर भी चर्चा की गई। पैनलिस्टों ने माइट्रल वाल्व ट्रीटमेंट और दूसरे स्‍ट्रक्‍चरल दिल की बीमारी से जुड़े ट्रीटमेंट में नई खोज के साथ-साथ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी का क्षेत्र कितनी तेजी से विकसित हो रहा है, 2022 और उसके बाद कौन-कौन सी चीजें आनी हैं और 2022 और उसके आगे किस तरह हार्ट हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल जीएं इस पर भी अपनी राय रखी।

डब्ल्यूएचडब्ल्यूएफ के को-फाउंडर नरीश्‍यंत शर्मा ने सभी पैनलिस्टों और दर्शकों को धन्यवाद देते हुए एक बार फिर गुड हेल्‍थ और वेलबीइंग के महत्व पर जोर दिया और आम लोगों के लाभ के साथ-साथ जिन विषयों का जवाब नहीं मिल पाया उनकी खोज जारी रखने और उस पर विचार-विमर्श करने और विचारों को साझा करने के लिए विशेषज्ञों को लाने के लिए इस आयोजन को नियमित रूप से आगे भी आयोजित करने का वादा किया। इसके साथ, वर्ल्ड हेल्थ एंड वेलबीइंग फेस्ट का पहला संस्करण अपने समापन हो गया। और इसी के साथ आने वाले सालों में अधिक विशेषज्ञों, अधिक चर्चा विषयों और अधिक ज्ञान मंचों के साथ फिर से वापस आने का वादा किया गया।
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