० योगेश भट्ट ०
नई दिल्ली : प्रभा खेतान फाउंडेशन के किताब फेस्टिवल में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दर्शकों भरा हुआ था,जब लेखिका दमन सिंह की पुस्तक असाइलम का विमोचन किया गया। लेखिका दमन सिंह और अहसास वुमेन ऑफ़ अहमदाबाद प्रियांशी पटेल के साथ एक साक्षात्कार प्रारूप में एक मनोरम सत्र आयोजित किया था।
ज्ञानवर्धक सत्र की शुरुआत अर्चना डालमिया ने की। लेखिका दमन सिंह का अभिनन्दन प्रीति गिल ने किया। प्रीति गिल अहसास वुमेन ऑफ़ अमृतसर पेशेवर महिला हैं, जिन्होंने सत्र के बीच अपने विचार रखते हुए कहा कि "आज का सत्र दिलचस्प है और मैं उस डेटा के बारे में जानने की इच्छुक हूँ कि विभाजन और सांप्रदायिक संघर्ष के भयानक आघात के समय के लोगों पर क्या मानसिक प्रभाव डाला होगा और उनकी मानसिक स्थिति क्या होगी।
प्रियांशी पटेल के साथ एक दिलचस्प बातचीत के दौरान, दमन सिंह से पूछा गया कि मानसिक स्वास्थ्य पर एक किताब लिखने के लिए उनकी क्यों दिलचस्पी थी । जिस पर उन्होंने उत्तर दिया कि यह मनोविज्ञान में रुचि के रूप में शुरू हुआ और फिर समय के साथ यह मजबूत होता गया और लिखने का विचार बन गया। इस पुस्तक को लिखना कठिन था। और मेने इसे पूरा करने में 4 साल लगा दिए।
उनसे आगे पूछा गया, "जिस तरह से उन्होंने यह किताब लिखी, वह इस पुस्तक से पाठक को क्या सन्देश चाहती थी? उन्होंने जवाब दिया, "मानसिक बीमारी" शब्द के आसपास बहुत सारी वर्जनाएँ हैं और हम इसके बारे में उतने खुलकर बात नही करते जीतनी करनी चाहिए होती है। उनकी किताब मानसिक बीमारी या इससे निपटने के तरीके के बारे में नहीं है बल्कि यह कहानी है कि पिछले 125 वर्षों में भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कैसे विकसित हुई।
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