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अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर राजस्थान की शिक्षण संस्थाओं की यौन हिंसा मुक्ति अभियान


० आशा पटेल ० 

जयपुर - अम्बेडकर सर्किल जयपुर पर बड़ी संख्या में महिला जन संगठनों के लोगों ने अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर राजस्थान प्रदेश में लड़कियों और युवा महिलाओं पर बढ़ते बलात्कार, यौन शोषण, छेड़छाड़ के मामलों को लेकर एकजुट होकर नारे, कविताओं और गानों के माध्यम से आवाज से आवाज मिला कर प्रदर्शन आयोजित किया गया |जयपुर शहर की अनेक युवतियां व जन संगठनों के प्रतिनिधियो के लगभग 70 लोगो ने भाग लिया |
अधिकांश लोगों ने अलग अलग क्षेत्र की बात रखी, वीमन ऑन व्हील्स की सरस्वती ने बताया कि अलवर जिले के मांढन थाना क्षेत्र में प्रधानाध्यापक सहित कुछ अध्यापकों द्वारा नाबालिग छात्राओं/ बच्चियों के साथ लगातार कई सप्ताह तक गैंगरेप की दिल दहलाने वाली घटना एक उदाहरण मात्र है। इसी विद्यालय में एक वर्ष पूर्व भी एक अध्यापक पर छात्रा से यौन हिंसा करने का प्रकरण दर्ज हुआ था। विद्यालय में पढने वाली 4 बालिकाओं ने विद्यालय के प्रिंसिपल सहित 9 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के खिलाफ गैंगरेप और छेड़छाड़ के अलग-अलग के मामले दर्ज करवाए।

भीलवाडा से आई एक युवा साथी ने बताया की भीलवाडा जिले के शाहपुरा के कनेछन कला के सरकारी स्कूल की छात्रावास में रहने वाली छात्रा ने अध्यापक के खिलाफ अश्लीलता का मामला दर्ज करवाया है | जयपुर के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल से आये पूर्व छात्र ने बताया कि पिछले एक दशक से दो अध्यापक लड़कियों के साथ यौन हिंसा कर रहे थे, जो मौखिक, व्हाट्स एप के जरिये और शारीरिक यौन हिंसा भी थी I बड़ी मुश्किल से दो लड़कियां निकल बाहर आई मामला दर्ज करवाने | जयपुर की साहिबा ने बताया की इतनी मुश्किल से संघर्ष करके शिक्षा प्राप्त की और अब नोकरी तलाश रही है और ऐसे ही संस्थाओं में होने लगा तो महिलाएं काम पर कैसे आएँगी |

सभी का मानना था कि बीते केवल एक वर्ष में स्कूलों और शिक्षण संस्थाओं आदि में रेप और यौन हिंसा के 13 मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से एक भी मामले में अपराधियों को सजा नहीं हुई है। यह आंकड़ा मीडिया में रिपोर्ट हुआ है, लेकिन वास्तविक दर्ज प्रकरणों की संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है और वास्तविक यौन हिंसा की घटनाओं की संख्या तो निश्चित तौर पर कहीं ज्यादा है। वर्ष 2019-20 में शिक्षण संस्थाओं में छात्राओं के साथ यौन शोषण के 14 मामले और वर्ष 2018-19 में 9 प्रकरण दर्ज हुए हैं। सरकार के कार्यकाल में 1 जनवरी, 2019 से 31 जनवरी, 2021 के लगभग दो वर्ष की अवधि में बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के 4106 मामले पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज हुए हैं | यह भयावह हालत जब है की आँकड़े और घटनाएं प्रदेश में कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण की बदहाली की स्थिति का स्पष्ट बयान हैं। 

जब की पोक्सो जैसे संवेदनशील कानून और भारतीय दंड संहिता में यौनिक अपराध कानून में लाये गए परिवर्तन तथा कार्य स्थल पर यौन हिंसा कानून लागू होने के बावजूद बालिकाओं एवं युवतियों के साथ यौनिक अपराध थम नहीं रहे हैं।सभी संगठनो की मांग थी कि इन प्रकरणों और ऐसे सभी अन्य मामलों पर संवेदनशीलता के साथ जाँच हो और पीड़ितों को तत्काल न्याय दिलाया जाए साथ ही मुख्यमंत्री से यह भी मांग की उनकी जिम्मेदारी है शिक्षण संस्थान सुरक्षित रहे नहीं तो लड़कियां और युवतियाँ की पढ़ाई बंद हो जाएगी Iअगला प्रदर्शन बाल आयोग के बाहर होगा और वे सभी स्कूल और थानों को भी जवाबदेह बनाया जायेगा, जहाँ इस तरह की घटनाये घटी हो वंहा सरकार को जवाबदेह बनाया जायेंगा |

धरने में पूर्व महिला आयोग अध्यक्षा डॉ लाड कुमारी जैन, रेणुका पामेचा, ममता जेटली, कविता श्रीवास्तव, कोमल श्रीवास्तव, डॉ. मोहम्मद इकबाल, नाजीमुद्दीन, भंवर लाल कुमावत, नीलम बगोतिया, बृजमोहन, विजय गोयल, बद्री, अनीता चौधरी, आकाश, सरस्वती, देवाशीष, कपिल सिंह सांखला, कुसुम साईंवाल, हेमंत, स्मिता आदि ने भाग लिया |
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