० संवाददाता द्वारा ०
नयी दिल्ली - अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन के तत्त्वाधान में भारत रत्न काव्य अनुष्ठान समूह में लगभग तीन सौ कवियों ने हिस्सा लेकर इस कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया। राजीव पांडेय के अथक प्रयास,अनवरत परिश्रम से ऐतिहासिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। पूरा कार्यक्रम सुनियोजित ढंग से ओंकार त्रिपाठी के निर्देशन में भव्यता प्राप्त हुई।
कार्यक्रम विविध समूहों में विभाजित था। कार्यक्रम के सभी संचालकों की तत्परता,धैर्य और समर्पण ने जिस प्रकार से महती भूमिका निभाई है,वो गौरवांवित सभी को करता है। पूरे समारोह के समस्त काव्य शिल्पियों की सृजनशीलता एवम् साहित्य साधना भी काबिल'ए' तारीफ रही। अंतर्राष्ट्रीय शब्द सृजन के तत्त्वाधान में भारत रत्न काव्य अनुष्ठान समूह के अन्तर्गत दिल्ली से सुषमा भंडारी ने
पग-पग आगे बढ़ते रहना , कहते थे बाबा साहिबकहता है इतिहास हमारा, सहते थे बाबा साहिब--------
14 अप्रैल ,1891 को, अवतरित हुये महुमध्य प्रदेश में
चमके चाँद सितारा बनके , देश और विदेश में
कुशाग्र बुद्धि, इतनी उनकी थी कि, ज्ञाता हुए संविधान के
भारत रत्न मिला है उनको , जो कारण बने मुस्कान के
पग पग आगे बढ़ते रहना , कहते थे बाबा साहिब
कहता है इतिहास हमारा, सहते थे बाबा साहिब
(२) सह सह कर दुःख , बने थे बाबा, भीम राव अम्बेडकर
शिक्षा दीपक बन के जले वो, छुआ छूत की छोड़ डगर
जन्म नहीं कर्मों की गंगा , बन के बहे, बाबा साहिब
जन जन के दिल में वो उतरे, शीतल जल बाबा साहिब
पग पग आगे बढ़ते रहना, कहते थे बाबा साहिब
कहता है इतिहास हमारा, सहते थे बाबा साहिब-------
(३) देश बदलने का था बीड़ा , दलितों को ले संग
चले जात पात और छुआ छूत की व्यवस्था में ख़ूब जले
शिक्षा की महत्ता को जानो , समझाते
बाबा साहिब
पुस्तक ही हैं खेल_ खिलोने बतलाते बाबा साहिब
पग पग आगे बढ़ते रहना, कहते थे बाबा साहिब
कहता है इतिहास हमारा, सहते थे बाबा साहिब
(४) दलित वर्ग के आसमान में चमका एक सितारा था
उच्च वर्ग की शान के आगे बाबा कभी न हारा था
अपनी किस्मत को खुद लिखना सिखलाते
बाबा साहिब
ऊंच- नीच में भेद न कोई समझाते बाबा साहिब
पग पग आगे बढ़ते रहना, कहते थे बाबा साहिब
कहता है इतिहास हमारा, सहते थे बाबा साहिब
(५) एक ही रंग में रंगना मकसद, भेदभाव न मन में हों
आरक्षण का दिया जो तोहफा , खुशियाँ अब जन जन में हों
संविधान के प्रावधान को लाये थे
बाबा साहिब
देश नहीं विदेशों में भी छाये थे बाबा साहिब
पग पग आगे बढ़ते रहना, कहते थे बाबा साहिब
कहता है इतिहास हमारा, सहते थे बाबा साहिब
(६) मालो जी सकपाल पिता थे, भीमा बाई थी
माता मूल मराठा, कबीर पंथ था , सब विषयों के थे
ज्ञाता स्वतंत्र भारत के विधिवेता , न्यायमंत्री
संविधानजनक अपने कर्मों के कारण ही, भारत रत्न का छुआ फलक
पग पग आगे बढ़ते रहना , कहते थे बाबा साहिब
कहता है इतिहास हमारा, सहते थे, बाबा साहिब
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