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पुस्तक "तुम्हारे नाम की कविता" वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, लंदन (यूके) में, नया रिकॉर्ड बनाने हेतु शामिल

० संवाददाता द्वारा ० 

गुरुग्राम ,पालम विहार, जे ब्लॉक निवासी राजेंद्र निगम 'राज' की पुस्तक "तुम्हारे नाम की कविता" को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, लंदन (यूके) में, एक नया रिकॉर्ड बनाने हेतु शामिल किया गया है। वे 17 वर्षों से भी अधिक समय से काव्य व साहित्यिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं। समाज में स्वयं को स्थापित करने के साथ ही उन्होंने साहित्य की बारीकियों को भी जाना। उन्होने नौकरी के साथ ही सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह किया। साथ ही समाज को साहित्य व काव्य के जरिए प्रेरित भी कर रहे हैं


इस पुस्तक की विशेषता ये है कि इसमें शामिल प्रत्येक कविता की प्रत्येक पंक्ति के प्रथम अक्षरों को मिलाने से कोई न कोई नाम बनता है- चाहे वो नाम किसी व्यक्ति का हो, स्थान, समारोह का हो या किसी पुस्तक का। उनका दावा है कि इस प्रकार की काव्य विधा की ये पहली पुस्तक है। इस विधा की कोई अन्य पुस्तक पूरे विश्व में कहीं भी उपलब्ध नहीं है और उनके इस दावे पर कई महीने गहन खोजबीन करने के उपरान्त "वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड, लंदन, यूके" द्वारा उन्हें ये प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। चूंकि कोरोना महामारी के कारण अभी वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड द्वारा सम्मान समारोह आयोजित नहीं किया जा सका है, अतः उन्होंने यह प्रमाणपत्र, प्रतीक रूप में उपायुक्त गुरुग्राम माननीय डॉ यश गर्ग जी के कर कमलों से प्राप्त किया।

राजेन्द्र निगम ने लगभग 39 वर्षों तक पंजाब नेशनल बैंक में विभिन्न पदों पर कार्य किया तथा प्रधान कार्यालय, दिल्ली से वरिष्ठ प्रबंधक के पद से वर्ष 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वी आर एस) प्राप्त की। बीच में लगभग दो वर्ष वे रेवाड़ी के पंजाब नेशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में निदेशक के पद पर भी कार्यरत रहे। वर्ष 2017 में, रेवाड़ी प्रशासन द्वारा डिजिटल बैंकिंग की जानकारी सामान्य जन को उपलब्ध कराने हेतु भी उन्हें अधिकृत किया गया था, जिसके अंतर्गत अनेकों कैंप लगाकर जनता को जागरूकता प्रदान की। साथ ही उन्होंने अखिल भारतीय साहित्य परिषद रेवाड़ी के अध्यक्ष, श्री चित्रगुप्त सभा रेवाड़ी के प्रधान व चित्रगुप्त मन्दिर के ट्रस्टी का दायित्व भी संभाला। पढ़ाई के समय से ही उनका काव्य से लगाव था। उनकी रचनाएं गगन स्वर, शब्द प्रवाह,अभिनव प्रयास व अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी थी। अब तक उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। दोनों ही पुस्तकों को पंजाब नैशनल बैंक द्वारा पुरस्कृत किया गया है। वे अपनी साहित्यिक और काव्य यात्रा के बारे में बताते हैं कि मुझे असली प्रेरणा 2004 में गाजियाबाद की गीताभ संस्था से जुड़ने के बाद मिली। वहां ओमप्रकाश चतुर्वेदी पराग तथा डॉ कुँअर बेचैन जैसी महान विभूतियां गुरु के रूप में मिलीं।

उन्होंने अपनी काव्य कला, कवि सम्मेलनों के आयोजनों तथा संचालन से कई बड़े-बड़े कार्यक्रमों को जीवंत बनाया है। कई बार आकाशवाणी तथा दूरदर्शन पर काव्य पाठ भी कर चुके हैं। उनकी काव्य रचनाओं ने न केवल कवि सम्मेलनों में खूब वाहवाही लूटी बल्कि वे बहुत से प्रतिष्ठित सम्मानों से भी नवाजे जा चुके हैं। इस समय वे जे ब्लॉक, पालम विहार, गुरुग्राम में निवास कर रहे हैं तथा जे ब्लॉक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में उप कोषाध्यक्ष का कार्यभार भी सम्भाल रहे हैं। साथ ही साहित्य व समाज की सेवा हेतु उन्होंने "परम्परा" संस्था की नींव भी रखी है, जिसके अंतर्गत अनेकों सामाजिक व साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
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