Halloween Costume ideas 2015

कविता // चींटियां

डॉ० मुक्ता ० 

चीटियां होती है माएं

निरंतर कर्मरत रहती

जीवन में

सीधे-सपाट रास्ते का

निर्माण करती

निरंतर बढ़ती रहतीं

अपनी इच्छाओं को मार

कुछ नहीं कहतीं

घर में सबको खिला

खुद कड़ाही-पतीले

की खुरचन से

भोजन करतीं

कभी भूख न होने का

उपक्रम करतीं

बच्चों के लिए

दिन-भर परेशान रहती

विपत्ति काल के लिए

संजो कर रखती

ताकि उन्हें कभी भी

न करना पड़े

किसी आकस्मिक

आपदा का सामना

मां!

संबंधों को

सहेज कर रखती

आजीवन संघर्ष करती

जीवन-पथ पर

निरंतर आगे बढ़ती

आंधी हो या आए तूफ़ान

सब के हित

मंगल कामना करती

जीवनोत्सर्ग करने को

हर पल तत्पर रहती
★★★
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