संसद से लेकर सड़क तक किसान कानून का विरोध, कोरोना महामारी और पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्ष का केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध ही विरोध नजर आया !
किसान आंदोलन के लगभग 8 महीने गुजर जाने के बाद पहली बार आंदोलनकारी किसान भी दिल्ली के जंतर मंतर पर आकर अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए दिखाई दिए ! सत्र शुरू होने के बाद विपक्ष ने एकजुट होकर संसद के भीतर गांधी प्रतिमा के सामने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर किसान कानूनों को समाप्त करने की मांग उठाई वही शुक्रवार 23 जुलाई को पेगासस जासूस कांड को लेकर विपक्ष ने प्रदर्शन किया और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर राहुल गांधी का यह अब तक का सबसे बड़ा हमला था ! विपक्ष कृषि कानून और करो ना महामारी पर संसद के भीतर बहस करने के लिए पड़ा हुआ है वही पेगासस जासूसी मुद्दे पर विपक्ष संसद में बहस कराना और कानूनी कार्रवाई चाहता है ! विपक्ष शायद पहली बार एक साथ तीन अहम मुद्दों को लेकर एकजुट होकर आवाज उठाता हुआ दिखाई दे रहा है !
सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को भी पहली बार संसद से लेकर सड़क तक विरोध का सामना करना पढ़ रहा है, क्योंकि अभी तक भाजपा के नेता और कुछ चुनिंदा मीडिया के लोग अक्सर कहा करते थे कि देश में विपक्ष कहां है ? इसीलिए शायद विपक्ष एकजुट होकर सत्ता पक्ष और चुनिंदा मीडिया को बता रहा है कि विपक्ष यहां है !
विपक्ष को संसद में एकजुट शायद किसान आंदोलन में भी किया है क्योंकि किसान नेताओं ने खुलकर कहा था कि जो भी पार्टी संसद में किसानों की आवाज उठाएगी किसान उसके साथ खड़ा होगा शायद इसीलिए विपक्ष की सारी पार्टियां किसानों के मुद्दे पर संसद के भीतर समवेत स्वर में आवाज उठा रही है !
अभी तो संसद सत्र शुरू ही हुआ है और शुरुआती दिनों में विपक्ष का आक्रमक तेवर बाकी सत्र में क्या करेगा इसका अभी इंतजार करना होगा ? विपक्ष को कोरोना महामारी पर केंद्र की स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने बैठे-बिठाए एक बड़ा मुद्दा दे दिया, स्वास्थ्य मंत्री ने विपक्ष को ऐसा मुद्दा दिया है जिसे सुनकर देश की जनता भी सकते में आ गई, जनता को भी यकीन नहीं हो रहा है कि केंद्र की स्वास्थ्य मंत्री ने कैसे कह दिया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण देश में कोई भी मौत नहीं हुई, जबकि दूसरी लहर में आम जनता में ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार और अफरा-तफरी को अपनी आंखों से देखा था, कई लोग तो स्वयं भोगी भी थे जिन्होंने ऑक्सीजन की कमी के कारण अपनों को खोया था !
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