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खोया हुआ आत्मविश्वास लौटा रही है कृत्रिम आंख

० आशा पटेल ० 

जयपुर - आंखें सिर्फ देखने का ही काम नहीं करतीं, इनसे खूबसूरती भी आंकी जाती हैं। मुश्किल तब हो जाती है कि जब जन्मजात विकृति, बीमारी या हादसे से लोग आंख गंवा देते हैं। ऐसे में जयपुर के वैशाली नगर से एक राहत की खबर आई है। यहाँ की एक एनजीओ प्रेम शकुंतला फाउंडेशन ने इस समस्या से ग्रस्त साधनहीन लोगों के कृत्रिम आंखें लगवा रही है , जो देखने में बिल्कुल असली लगती हैं।

प्रेम शकुंतला फाउंडेशन के संचालक अविनाश माथुर ने बताया कि एक आंख खराब होने से व्यक्ति का आत्मविश्वास भी डगमगाता है। वह समाज की मुख्य धारा से कटने लगता है।

कई बच्चों को एक आंख की हानि हो जाने पर अन्य बच्चे चिढ़ाते हैं जबकि अनेक लड़कियों का एक आंख खराब हो जाने के कारण विवाह होना मुश्किल हो जाता है। एक आंख खराब हो जाने पर पीड़ित व्यक्ति से मिलने वाला हर व्यक्ति उसे अजीब निगाहों से देखता है या उस उसकी आंख खराब होने के कारण जानकर झूठी सहानुभूति दिखाता है। कई लोगों में एक आंख की क्षति व्यक्ति में हीन भावना भर देती है और वह कुंठा ग्रस्त होकर डिप्रेशन के शिकार होने लगते हैं।

ऐसे लोगों को राहत देने के लिए प्रेम शकुंतला फाउंडेशन कार्य कर रहा है, विशेषकर उन लोगों के लिए जिनके पास कृत्रिम आंख लगवाने के लिए साधन नहीं है। संस्था के संचालक श्री अविनाश माथुर ने बताया कि इस कार्य में सबसे बड़ी चुनौती पीड़ित लोगों तक पहुंचना तथा संस्था के लिए साधन जुटाना है। फिलहाल उन्हें अमेरिका और यूरोप में रह रहे रिश्तेदार व मित्र कुछ आर्थिक सहायता दे रहे हैं। माथुर ने बताया कि हाल ही में उन्होंने 17 वर्ष की निर्धन युवती की खराब आंख की जगह कृतिम आंख (prosthetic eye) लगवाई और अब उसका विवाह हो गया है तथा वह सुखी एवं दांपत्य जीवन बिता रही है। अविनाश माथुर से उनके फोन नंबर 98290 25274 पर संपर्क किया जा सकता है।
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