Halloween Costume ideas 2015

कहाँ से लाऊँ शब्द ,जो पिता को आँक सके

0 परिणीता सिन्हा 0

कहाँ से लाऊँ वो शब्द ,

जो पिता को आँक सके, 

कैसे बयां करूँ वो दर्द, 

जो कोई माप सके । 

पिता का होना और फिर न होना, 

जैसे भींग कर, फिर सूख जाना । 

पिता से पिता बनने का सफर,

है जैसे ढलती दोपहर । 

तन से बहता है पसीना, 

फिर भी लगे ही रहना । 

सारी ममता माँ के हिस्से आती 

और सारी सख्ती पिता निभाते । 

जब घटाएं घिरी हो घनघोर, 

तब पिता ही बनते ठोर । 

अपमान का घूँट भी पी जाते, 

फिर भी एहसान नही जताते । 

घड़ी की सुइयों की भाँति , 

पिता अनवरत  ही घूमते 

फिर भी थकान नही बताते ।

जब हम उनके स्थान पर आते, 

तभी उनकी स्थिति का,

 सही आकलन कर पाते । 

Labels:

एक टिप्पणी भेजें

MKRdezign

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget