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बंगाल मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किया जाना संविधान के संघीय ढांचे पर कुठाराघात : अजय खरे


० आशा पटेल ० 

रीवा  . समाजवादी जन परिषद के नेता अजय खरे ने कहा है कि मुख्य सचिव रहे अलापन बंद्योपाध्याय की सेवाएं बंगाल केडर की हैं , उनका केडर बदले बिना केंद्र उन पर सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकता है . इधर बंगाल में जो कुछ हुआ वह केंद्र सरकार की सरासर मनमानी है . उन्होंने कहा कि बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किया जाना , संविधान के संघीय ढांचे पर कुठाराघात है . मुख्य सचिव की सेवाएं राज्य सरकार के अधीन होती हैं . वह राज्यपाल की तरह केंद्र सरकार का एजेंट नहीं है कि उसे उंगली पर नचाया जा सके

 खरे ने कहा कि हालांकि इधर 31 मई को मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय अधिवार्षिकी आयु पूरा करते हुए सेवानिवृत्त हो चुुके हैंं , जिन्हें ममता बनर्जी ने अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है . खरे ने कहा कि राज्यपाल को केंद्र सरकार कभी भी वापस बुला सकती है या हटा सकती है . किसी भी राज्य के आईएएस अधिकारी और राज्य सरकार की सहमति के बगैर संबंधित आईएएस का केडर भी नहीं बदला जा सकता है . केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में काम कर रहे आईएएस अधिकारी अलग अलग राज्य केडर के हैं , जो वहां राज्य सरकार की सहमति पर प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं . 

राज्य सरकार चाहे तो प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे आईएएस अधिकारियों को वापस बुला सकती है .श्री खरे ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य की जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों का नेतृत्व करता है . मुख्य सचिव उसकी प्रशासनिक व्यवस्था का प्रधान होता है . राज्य सरकार की इच्छा के बिना केंद्र सरकार मुख्य सचिव को सीधा तलब भी नहीं कर सकती है . यदि सीधा तलब करती है तो वह प्रोटोकाल का उल्लंघन एवं संबंधित राज्य की स्वायत्तता पर हमला है . इधर मोदी सरकार ने जिस तरीके से बंगाल के मुख्य सचिव रहे अलापन बंद्योपाध्याय को तलब किया , वह संघीय ढ़ांचे को कमजोर करने वाला और केंद्र राज्य संबंधों को कड़वा बनाने वाला है .
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