० संवाददाता द्वारा ०
नयी दिल्ली - 'प्रणेता साहित्य संस्थान' ने अपने पाँचवें स्थापना दिवस पर आॅनलाइन भव्य आयोजन किया।यह आयोजन प्रणेता साहित्य संस्थान के संस्थापक और महासचिव कथाकार एस जी एस सिसोदिया के मार्गदर्शन में और साहित्य के प्रति समर्पित साहित्यकार शकुंतला मित्तल की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।मुख्य अतिथि के रूप में कवि कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी और विशिष्ट अतिथि के रूप में कवयित्री अनीता प्रभाकर ने मंच को गौरवान्वित किया।आयोजन का शानदार ,मोहक और कुशल संचालन कवयित्री भावना शुक्ल ने किया।
इस आयोजन में विभिन्न राज्यों के 35 साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से शुभकामनाएँ प्रेषित की। कवयित्री चंचल पाहुजा ने दीप प्रज्वलन कर आयोजन का शुभारंभ किया और कवयित्री सुषमा भण्डारी की सुमधुर वंदना ने मंच पर उपस्थित सभी साहित्यिक मनीषियों को भाव विभोर कर दिया। प्रतिष्ठित साहित्यकार एस जी एस सिसोदिया ने प्रणेता के स्थापना दिवस पर सबको बधाई संदेश दे कर प्रणेता की उपलब्धियों का श्रेय प्रणेता के पदाधिकारियों और उससे जुड़े सभी कलमकारों की सक्रिय सहभागिता को दिया।
इस आयोजन में मनीष माना, लाडो कटारिया,आभा पालीवाल, डाॅ.शारदा मिश्रा,परिणीता सिन्हा,दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश",चन्नी वालिया,प्रेम लता कोहली, कुसुम गुप्ता,डॉ राम निवास'इंडिया', दिल्ली,चंद्रमणि मणिका, पवन कुमार, एस पी वर्मा ,अतुल सिंह'अक्स',राजेशवरी जोशी ;शिप्रा झा,तरुणा पुण्डीर 'तरुनिल, अनीता गुप्ता,अशोक पाहुजा,स्वीटी सिंघल ‘सखी’,डाॅ सरोज गुप्ता,डाॅ बबिता गर्ग सहर फरीदाबाद,रशीद ग़ौरी, सोजत शहर
रीतु प्रज्ञा,दरभंगा, बिहार,डॉ. रवि शर्मा' मधुप', दिल्ली, विकास जैन,डॉ कामना तिवारी श्रीवास्तव,कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी जी,सरिता गुप्ता,भावना शुक्ल ने अपनी विविध भावपूर्ण प्रस्तुति से आयोजन को रससिक्त कर दिया। मुख्य अतिथि कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी ने अपनी शुभकामनाएँ समर्पित करते हुए कहा कि वे आरंभ से ही प्रणेता साहित्य संस्थान से जुड़े हैं और कदम दर कदम उसकी निरंतर प्रगतिशील यात्रा के साक्षी रहे हैं और कामना व्यक्त की कि भविष्य में भी प्रणेता साहित्य पथ पर आगे बढ़ता रहेगा।
विशिष्ट अतिथि अनीता प्रभाकर ने सभी पदाधिकारियों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी और उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।अध्यक्षा शकुंतला मित्तल ने सभी को बधाई एवं शुभकामनाएँ समर्पित करते हुए सभी रचनाकारों की रचनाओं को सराहते हुए कहा कि उनकी खूबसूरत प्रस्तुति से सतरंगी नहीं वरन शतरंगी इन्द्रधनुष साकार हो गए ।सभी उपस्थित कलमकारों ने पूर्ण उत्साह,धैर्य और ऊर्जा से सबकी रचनाओं को और अतिथि वृंद के उद्बोधन को सुन कर प्रतिक्रिया दी।अंत में कवयित्री सरिता गुप्ता ने सब पदाधिकारियों,अतिथियों और साहित्यिक मनीषियों का धन्यवाद ज्ञापन किया।
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