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भारत चीन युद्ध में शहीद हुए अन्झा पटेल की पत्नी को सम्मान पेंशन का 58 साल से इंतजार

० आशा पटेल ० 

रीवा -सन 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रीवा जिले के ग्राम पोस्ट बरहदी जिला रीवा मध्य प्रदेश के रहने वाले अन्झा पटेल आर्मी नंबर 9202509 , 6 महार रेजीमेंट के जवान के रूप में नेफा में तैनात रहते हुए शहीद हुए थे . उनका पार्थिव शरीर नहीं मिल पाया था . शहादत के कुछ समय पहले अन्झा पटेल की शादी हिंदू रीति रिवाज के साथ ग्राम सथिनि तहसील सिरमौर जिला रीवा मध्य प्रदेश के निवासी राम सिया पटेल की पुत्री लप्पी उर्फ हिरउआ के साथ संपन्न हुई थी .

शादी के बाद अन्झा पटेल सेना के रिकॉर्ड में नामिनी के रूप में अपने पिता श्री राम विशाल पटेल के स्थान पर अपनी पत्नी हिरउआ का नाम दर्ज नहीं करवा पाए थे . इस बीच भारत चीन युद्ध में जाने के कारण वह वीरगति को प्राप्त हुए . सेना के रिकॉर्ड में पिता का नाम दर्ज होने के कारण उन्हें पेंशन दी जाने लगी . इस दौरान शहीद पति अन्झा की पेंशन पाने के लिए उनकी अनपढ़ पत्नी हिरउआ ने काफी प्रयास किया लेकिन उसे कोई महत्व नहीं मिला 

शहीद अन्झा पटेल के पिता रामविशाल पटेल की मृत्यु सन 1971 में होने के बाद सेना से मिलने वाली पेंशन बंद कर दी गई . इसके बाद शहीद की पत्नी हिरउआ ने अपनी क्षमता के हिसाब से सेनाध्यक्ष , सेना मुख्यालय , नई दिल्ली को लिखा पढ़ी की लेकिन उन्हें शहीद  विधवा पेंशन की मंजूरी नहीं मिल सकी . शहीद की विधवा हिरउआ करीब 78 वर्ष की हैं . करीब 58 सालों से इस संबंध में उनके द्वारा पत्राचार हो रहा है लेकिन उन्हें उम्र के अंतिम पड़ाव में भी न्याय नहीं मिल सका है , जिसकी दरकार बनी हुई है . देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान उनकी लिखा पढ़ी जारी रही लेकिन उनकी फरियाद नक्कारखाने में तूती की आवाज बन गई है .

 देश के स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ-साथ देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए वीर जवानों की शहादत को नमन करते हुए याद किया जाता है लेकिन यह दुर्भाग्य है कि उम्र के अंतिम पड़ाव पर किसी तरह जी रहीं हिरउआ को अभी तक अपने शहीद पति के सम्मान में मिलने वाली पेंशन नहीं मिल सकी है . फिलहाल शहीद अन्झा पटेल की धर्मपत्नी हिरउआ पटेल अपने देवर ददई पटेल के संरक्षण में ग्राम बरहदी में रह रही हैं. सरकार की ओर से देर तो बहुत हो चुकी है , अंधेर भी बहुत हो चुका है फिर भी भारत सरकार को जल्दी से जल्दी उनके जीवन काल में उनकी पेंशन और सम्मान उपलब्ध करा देना चाहिए .

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