0 परिणीता सिन्हा 0
दीवार पर उग आयी ये नन्ही पौध,
जिसमें बसती है जिंदगी की सौंध ।
वो जीवन जिसे न मिली पूरी जमीन ,
पर उसे अपने होने का था पूरा यकीन ।
उसकी जड़े फैली कुछ दीवार में,
तो कुछ हवा के दीदार में ।
उसे नही मिलती खाद और उर्वरता ।
फिर भी उसमें विघमान है सुंदरता ।
जब तक लोगों के ध्यान में नही आएगी,
बस ,चुपचाप विस्तृत होती जाएगी ।
जिस दिन सफाई की जाएगी,
जड़ तक खोदी जाएगी ।
ठीक वैसे, जैसे कितनी
अवैध बस्तियां उजड़ जाती है
और कई जिंदगियां बिसर जाती है ।
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