जयपुर। पीएचडी चैम्बर राजस्थान चैप्टर द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016-विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी इन नियमों के विभिन्न प्रावधानों एवं नियमों के क्रियान्वयन के बारे में विस्तृत चर्चा की गई। संजय अग्रवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, पीएचडी चैम्बर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में इन नियमों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जोर दिया की प्लास्टिक उद्योग को अपनी जिममेदारी निभाते हुए एवं उत्कृष्ट तकनीक एवं प्रणाली को समावेश करते हुए प्रदूषण कम करने की पहल करनी चाहिए।
अग्रवाल ने बताया की वर्तमान कोविड समय में प्लास्टिक उत्पादों की हेल्थ केयर सेक्टर में खपत काफी बढ़ी है एवं समय आ गया है की राज्य सरकारें एवं प्लास्टिक उद्योग प्लास्टिक के रीसाइक्लिंग के बारे में पहल तेज करें एवं वांछित तकनीक एवं आधारभूत ढांचा तैयार करें। इस सन्दर्भ में उन्होंने डेडिकेटेड रीसाइक्लिंग पार्क एवं जोन को विकसित करने का आवाहन किया। दिग्विजय ढाबरिया, अध्यक्ष, पीएचडी चैम्बर राजस्थान ने अपने स्वागत उद्बोधन में बताया की प्लास्टिक वेस्ट का लगभग 40 प्रतिशत मात्रा रिसाइकल नहीं हो पाती है जिसके लिए उद्योग एवं राज्य सरकारों को प्रयास करना चाहिए ताकि प्रदूषण को रोका जा सके।
डॉ. वीके सिंघल, मुख्य अभियंता, राजस्थान राज्य प्रदूषण मंडल ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016-विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के सम्बन्ध में जारी नियमों एवं प्रस्तावित व्यवस्थाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की देश में लगभग 30000 प्लास्टिक इकाइयां कार्यरत है जिनके द्वारा लगभग 26000 टन अपशिष्ट प्रतिदिन सृजित होता है। स्थानीय निकायों, पंचायत, उत्पादकों एवं वेस्ट मैनेजमेंट एजेंसीयों के लिए नियमों में विभिन्न दायित्वों का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया की नियमों के तहत इकाइयों को 1जुलाई 2021 तक ईपीआर मैनेजमेंट प्लान प्रस्तुत करना है। राज्य प्रदूषण बोर्ड नियमों के क्रियान्वयन के लिए तकनीकी परामर्श के लिए सैदव तत्पर है एवं विभिन्न हितधारकों के मध्य एक सेतु का काम करता रहेगा।
वेबिनार में उपस्थित विशेषज्ञों एवं हितधारकों ने यह सुझाव दिया की नियमों के क्रियान्वयन में भारतीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए वांछित संशोधन एवं परिवर्तन किया जाए ताकि विभिन्न प्रकार की व्यावहारिक कठिनाइयों का समाधान हो सके एवं नियमों में समावेशित उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सके एवं प्रदूषण नियंत्रण सुनिश्चित हो।
वेबिनार में अभिषेक शिवपुरी, विधि विशेषज्ञ, उल्लास पार्लेकर, वेस्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ, मटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन इंडिया, जे पी मीणा, इंडियन बेवरेज एसोसिएशन, सुमेर सिंह शेखावत, अध्यक्ष, प्लास्टिक मनुफक्चरर्स एसोसिएशन राजस्थान, हितेन भेडा, पूर्व अध्यक्ष, आल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन, राजेंद्र कुमार गुप्ता, प्रबंध निदेशक, शकुन प्लास्टिक, सुश्री श्रीकृति लोढ़ा, अधिशाषी निदेशक, उमा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज एवं एच सी सत्यनारायणा, पूर्व अध्यक्ष, आल इंडिया स्माल स्केल पेंट एसोसिएशन ने अपने महत्त्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये। श्री सुनील दत्त गोयल, उपाध्यक्ष, पीएचडी चैम्बर, राजस्थान ने धन्यवाद् प्रस्ताव पारित किया।
डॉ. वीके सिंघल, मुख्य अभियंता, राजस्थान राज्य प्रदूषण मंडल ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016-विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के सम्बन्ध में जारी नियमों एवं प्रस्तावित व्यवस्थाओं के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की देश में लगभग 30000 प्लास्टिक इकाइयां कार्यरत है जिनके द्वारा लगभग 26000 टन अपशिष्ट प्रतिदिन सृजित होता है। स्थानीय निकायों, पंचायत, उत्पादकों एवं वेस्ट मैनेजमेंट एजेंसीयों के लिए नियमों में विभिन्न दायित्वों का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया की नियमों के तहत इकाइयों को 1जुलाई 2021 तक ईपीआर मैनेजमेंट प्लान प्रस्तुत करना है। राज्य प्रदूषण बोर्ड नियमों के क्रियान्वयन के लिए तकनीकी परामर्श के लिए सैदव तत्पर है एवं विभिन्न हितधारकों के मध्य एक सेतु का काम करता रहेगा।
वेबिनार में उपस्थित विशेषज्ञों एवं हितधारकों ने यह सुझाव दिया की नियमों के क्रियान्वयन में भारतीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए वांछित संशोधन एवं परिवर्तन किया जाए ताकि विभिन्न प्रकार की व्यावहारिक कठिनाइयों का समाधान हो सके एवं नियमों में समावेशित उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सके एवं प्रदूषण नियंत्रण सुनिश्चित हो।
वेबिनार में अभिषेक शिवपुरी, विधि विशेषज्ञ, उल्लास पार्लेकर, वेस्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ, मटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन इंडिया, जे पी मीणा, इंडियन बेवरेज एसोसिएशन, सुमेर सिंह शेखावत, अध्यक्ष, प्लास्टिक मनुफक्चरर्स एसोसिएशन राजस्थान, हितेन भेडा, पूर्व अध्यक्ष, आल इंडिया प्लास्टिक मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन, राजेंद्र कुमार गुप्ता, प्रबंध निदेशक, शकुन प्लास्टिक, सुश्री श्रीकृति लोढ़ा, अधिशाषी निदेशक, उमा ग्रुप ऑफ़ कम्पनीज एवं एच सी सत्यनारायणा, पूर्व अध्यक्ष, आल इंडिया स्माल स्केल पेंट एसोसिएशन ने अपने महत्त्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये। श्री सुनील दत्त गोयल, उपाध्यक्ष, पीएचडी चैम्बर, राजस्थान ने धन्यवाद् प्रस्ताव पारित किया।
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