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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-कानपुर ने मॉलीक्युलर आयोडीन आधारित उत्पादों पर अनुसंधान के लिए आई2 क्योर के साथ की साझेदारी

० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नई दिल्लीः इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-कानपुर (आईआईटी-के) ने मॉलीक्यूलर आयोडीन-आधारित उत्पादों पर भावी अनुसंधान के लिए ‘मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ बायोटेक कंपनी आई2 क्योर (प्राइवेट) लिमिटेड के साथ साझेदारी की है, यह अनुसंधान आईआईटी-के (https://www.iitk.ac.in/bsbe/)  की बायोलोजिकल साइन्सेज़ एण्ड बायोइंजीनियरिंग विंग द्वारा किया जाएगा। आई2 क्योर, मॉलीक्यूलर आयोडीन-आधारित आई-2 क्योर बायोशील्ड का उत्पादन करने वाली दुनिया की पहली बायोटेक्नोलॉजी कंपनी है, यहउत्पाद  एक ब्रॉड-स्पैक्ट्रम एंटीमाइक्रोबियल है और कोविड ववायरस के खिलाफ इसकी 99.999 फीसदी प्रभाविता प्रमाणित हो चुकी है।

समझौते के तहत आई2 क्योर के भावी उत्पादों का इन्क्यूबेशन आईआईटी-कानपुर में किया जाएगा। यह संबंध इक्विटी पार्टनर्स का होगा तथा आईआईटी-के में भारतीय परिस्थितियों के लिए डॉ जैक कैसलर के ग्लोबल रीसर्च का सत्यापन किया जाएगा। आईआईटी-के विश्वस्तरीय बाज़ारों के लिए नए ‘भारत निर्मित’ उत्पादों के विकास हेतु आई2 क्योर क साथ मिलकर काम करेगा, खासतौर पर मनुष्य के निवारक स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा विज्ञान (एफएमडी, बोवाइन मैस्टाइटिस, डर्मेटाइटिस) और कृषि उत्पादों के क्षेत्र में दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान पर काम करेगा। एक अनुमान के मुताबिक मॉलीक्युलर आयोडीन प्रीवेन्टिव के जैव रसायनिक एवं कवकनाशी फायदों के चलते किसानों की कुल आय में सालाना 15 बिलियन डॉलर से अधिक बढ़ोतरी हो सकती है। ये सभी अनुसंधान कार्य इन दिग्गजों के नेतृत्व मे आईआईटी-के के मार्गदर्शन में किए जाएंगे।

डॉ गणेश (न्यूरोबायोलोजी ऑफ डिसऑर्डर्स, स्ट्रैस बायोलोजी एवं मानव जेनेटिक्स) डॉ अशोक कुमार (डाउनस्ट्रीम प्रोसेसिंग; एफिनिटी इंटरैक्शन्स एवं सैल सैपरेशन्स; नैनो टेक्नोलौजी; बायोमटीरियल्स, टिश्यू इंजीनियरिंग) डॉ अमिताभ बंदोपाध्याय (स्केलेटल डेवलपमेन्ट एण्ड डिफरेन्शिएशन)

इस अवसर पर अनिल केजरीवाल, संस्थापक अध्यक्ष, आई2क्योर ने कहा, ‘‘भावी निवारक उत्पादों के विकास के लिए अपनी मूल संस्था आईआईटी-कानपुर के साथ साझेदारी करते हुए मुझे बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। ऐसे संस्थान के साथ जुड़ना हमारे लिए गर्व की बात है जो सभी आईआईटी संस्थानों में गोल्ड स्टैण्डर्ड के समकक्ष है। हमसब एक साथ मिलकर प्रधानमंत्री जी के दृष्टिकोण के अनुरूप किसानों की आय को दोगुना करने और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रयासरत हैं। आई2 क्योर दुनिया के लिए ‘भारत में निर्मित’ उत्पादों के निर्माण पर काम करेगी।’

(प्रोफेसर) डॉ अशोक कुमार, बीएसबीई (बायोलोजिकल साइन्सेज़ एण्ड बायोइंजीनियरिंग, आईआईटी कानपुर ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि हम अपने 50 सबसे प्रतिभाशाली पूर्वछात्रों में से एक का फिर से अपने परिसर में स्वागत करने जा रहे हैं, उनके साथ मिलकर हम मनुष्य, पशुओं एवं कृषि संबंधी समस्याओं के दीर्घकालिक समाधानों पर काम करेंगे। आईआईटी-के में अनुसंधान की संभावनाओं को लेकर हम बेहद उत्साहित हैं। हमारे फैकल्टी एवं रीसर्च स्कॉलर भी डॉ जेक कैसलर जैसे वैज्ञानिक के साथ काम करने को लेकर उत्सुक हैं। आईआईटी-के को इसके ‘गहन एवं आधुनिक अनुसंधान’ दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। आने वाले समय में भी हम इस दिशा में अपने प्रयास जारी रखने के लिए अन्य भारतीय संस्थानों और सरकारी प्रयोगशालाओं के साथ साझेदारी करते रहेंगे।’

डॉ कैसलर के पास कई पेटेंट हैं, उनके पास आयोडीन टेक्नोलॉजी (https://patents.justia.com/inventor/jack-kessler)  में अनुंसधान के क्षेत्र में 3 दशक से अधिक अनुभव है। उन्होनें मॉलीक्यूलर आयोडीन को आइसोलट, स्टेबिलाइज़ और पेटेंट किया है, जो मौजूदा प्रोवाइडोन-आयोडीन की तुलना में 500 गुना अधिक प्रभावी हो सकती है। मॉलीक्यूलर आयोडीन-आधारित बायोशील्ड न केवल कोविड से सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि अन्य बैक्टीरियल, वायरल, फंगल इन्फेक्शन, ट्युबरकुलोसिस, टीनिया एवं अन्य त्वचा रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करती है।

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