Halloween Costume ideas 2015

कविता //अदृश्य शत्रु

डॉ० मुक्ता ० 

आओ!

मिलकर प्रभु से ग़ुहार लगाएं

संसार में बढ़ रही खरपतवार

आपदाओं का एहसास दिलाएं

चहुंओर फैली दहशत को देख

मनवा हो रहा बेक़रार है

त्राहिमाम्-त्राहिमाम् के स्वर सुन

मानव कर रहा चीत्कार है

और लाशों के अंबार देख

हृदय में मचा हाहाकार है

उठो धरतीपुत्र!

अपनी शक्ति को पहचानो

सामना करो उस अदृश्य शत्रु का

जिसने जग में माया जाल फैलाया है

संहार करो उस रक्तबीज का

जिसने धरा पर उत्पात मचाया है

आज तुम्हें अपने पूर्वजों के

इतिहास को दोहराना है

साहस व बल-बुद्धि-चातुर्य से इस

बहुरूपिये दुश्मन को मार भगाना है

और समस्त मानव जाति

व अपनी संस्कृति को बचाना है

ताकि युगों-युगों तक भारत का नाम

विश्व गुरु के रूप में

स्वर्णिम शब्दों में अंकित रहे

तुम्हारी असीम शक्ति व शौर्य का डंका

पूरे जहान में निरंतर बजता रहे

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