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जब कोई एक भी भाषा मरती है तो उसके साथ एक पूरी सभ्यता और संस्कृति भी मर जाती है

० राजकुमार श्रेष्ठ ०

नयी दिल्ली - हिंदुस्तानी भाषा अकादमी की ओर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक 'संगोष्ठी:मातृभाषा संरक्षण में महिलाओं की भूमिका' एवं 'काव्य पाठ का आयोजन अकादमी के रोहिणी (दिल्ली) स्थित नए कार्यालय के सभाकक्ष में संपन्न हाउस। इस महत्वपूर्ण परिचर्चा और काव्य पाठ में अकादमी के शिक्षक प्रकोष्ठ के सदस्यों और पदाधिकारियों  के साथ-साथ दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे लेखकों और कवियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

समारोह का शुभारंभ श्रीमती प्रीति तोमर, विधायक, सुश्री मीनू त्रिपाठी, विख्यात कथाकार, सुश्री गरिमा संजय, लेखिका, डॉ. करुणा शर्मा सहित अकादमी की वरिष्ठ पदाधिकारियों सुश्री सुरेखा शर्मा, डॉ वनीता शर्मा, सरोज शर्मा, सुषमा भंडारी, सरिता गुप्ता, सीमा सिंह, इंदु यादव द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके हुआ । सरस्वती वंदना सुषमा भंडारी ने की। इस अवसर पर अपने स्वागत वक्तव्य में अकादमी के अध्यक्ष  सुधाकर पाठक ने अपने वक्तव्य में मातृभाषाओं पर आए खतरे पर चर्चा करते हुए नारीशक्ति को इसके संरक्षण का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मातृभाषा ही है जो बच्चा अपनी माँ की लोरियों और उसके दूध के साथ सीखता है। अपनी मातृभाषाओं को बचाने की जिम्मेदारी हम सब की है। जब कोई एक भी भाषा मरती है तो उसके साथ एक पूरी सभ्यता और संस्कृति भी मर जाती है। 


मुख्य अतिथि की ओर से उपस्थित नारीशक्ति को इस विशेष दिवस की शुभकामनाओं के साथ ही एक जुट होकर अपनी भाषाओं के लिए कार्य करने की बात कही गई। सुश्री मीनू त्रिपाठी ने भी अपने सारगर्भित वक्तव्य में भाषाओं के संरक्षण और हिंदी के पाठक वर्ग को बढ़ाने की बात कही। चर्चित  लेखिका सुश्री गरिमा संजय ने किसी एक दिन को नारी के लिए संरक्षित करने और लिंग आधारित समाज पर प्रश्न को उठाया। उन्होंने कहा कि चाहे पुरुष हो या स्त्री सबके लिए सभी दिन होने चाहिए। 

हिंदुस्तानी भाषा भारती पत्रिका के संयुक्त संपादक राजकुमार श्रेष्ठ ने कम लेकिन बहुत सार्थक शब्दों में भाषाओं के संरक्षण की बात कही। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित कर्नल प्रवीण त्रिपाठी ने भी काव्यपाठ किया और शुभकामनाएं दीं। दिल्ली विश्विद्यालय की छात्रा सुश्री ममता कुमारी के काव्य पाठ को सबने खूब सराहा।

कार्यक्रम में सुश्री कमलेश नागर, डॉ. नीरू मोहन 'वागेश्वरी', चित्रा श्रीवास्तव, पूजा कौशिक, राधा शर्मा, सपना दत्ता, नीना वाधवा, तृप्ति अग्रवाल ने काव्यपाठ किया। सुश्री सीमा सिंह ने अपनी सुमधुर शैली में ग़ज़ल सुनाई। डॉ. पूजा कौशिक की प्रस्तुति को सबने बहुत सराहा। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती सरोज शर्मा और धन्यवाद ज्ञापन सुश्री सुरेखा शर्मा द्वारा दिया गया। 

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