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हिंदुस्तान एडवेंचर फाउंडेशन के योद्धाओं ने भारतीय तिरंगा फहराने का गौरव हासिल किया

इरफ़ान राही

उत्तराखंड -नववर्ष के मौके पर हिंदुस्तान एडवेंचर फाउंडेशन के योद्धाओं ने भारतीय तिरंगा  फहराने का गौरव हासिल किया है । कड़ाके की सर्दी में जहाँ एक आम आदमी अपने बिस्तर से निकलते हुऐ भी घबराता है। उसी सर्दी के मौसम में (- 12 माइनस) डिग्री तापमान में पिलखआ की हिजाबी पर्वतारोही रिजवाना सैफ़ी अपनी पर्वतारोही टीम के साथ उत्तराखंड की बर्फीले केदार कांठा ट्रैक पर भारतीय तिरंगा फहराकर एक नया इतिहास रचा है।  


ऐसा भारत में ऐसा पहली बार हुआ है, कि किसी चोटी पर नेशनल तिरंगा फहराया गया है। माउंटेनियर रिजवाना सैफ़ी की जो हापुड़ जिले की कस्बा पिलखआ निवासी इंतजार सैफ़ी की बेटी है, रिजवाना सैफ़ी अभी चंद दिनों पहले हिमाचल प्रदेश की सोलांग वैली में स्थित माउंट फ़्रेंडशिप पीक फतह करके आई थी। वहाँ से आने के बाद उन्होंने अपनी प्रेक्टिस को लगातार जारी रखते हुऐ विन्टर ट्रैक को फतह करने का फैसला लिया। 

केदार कांठा ट्रैक के दौरान रास्ते बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ा। साथ ही मौसम  खराब होने पर   माइनस 12 से  माइनस 14 डिग्री  तापमान में  टीम को ट्रैकिंग करनी पड़ी। टीम को बहुत बाधाएं आई स्नोफॉल भी बहुत ज्यादा था जिसके चलते भी पर्वतारोहियों ने हार नहीं मानी।अपने मिशन पर आगे बढ़ते रहे केदार कांटा चोटी पर नववर्ष के दिन सुबह 07:00 बज के 10 मिनट पर नेशनल तिरंगा फहराया। यह मिशन 28 दिसम्बर 2020 से 2 जनवरी 2021 तक चला टीम ने भारीतय तिरंगा फहराकर देश और क्षेत्र का नाम रौशन किया। 

केदार कांठा ट्रैक को कम्पलीट करने में अलग-अलग  क्षेत्र से पर्वतारोहियों ने शिरकत की थी पिलखुआ से हिजाबी पर्वतारोही रिजवाना सैफ़ी मुरादाबाद से पर्वतारोही नूर मोहम्मद ,अनुज वर्मा, नितिन यादव, हर्ष गुप्ता, आशुतोष चंद्रा, शाहबाद रामपुर से अंकित पांडे सहारनपुर से  कशिश कुमार रुड़की उत्तराखंड से अनुज नौटियाल राजस्थान महेश कुमार आकाश सैनी से  वेस्ट बंगाल से साहिल गुप्ता अमन राहुल विष्णु अक्षय बहार अलका सोमा काजल आदि टीम का कहना है कि हमे को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा साथ ही नेटवर्क ना होने की वजह से पत्रकार बंधुओं को सूचना देर से मिलेगी

रिजवाना का सपना दुनिया की सबसे उँची चोटी माउंट ऐवरेस्ट पर भारतीय तिरंगा फहराने का है। उसके लिए वह रात दिन मेहनत कर रही है। रिजवाना का कहना है कि मैने जो सपनें देखे है मैं उन्हें पूरा करने की ताकत भी रखती हूँ और उनको पूरा भी करूँगी। रिजवाना की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के वजह से वह माउंट ऐवरेस्ट को फतह करने में आने वाले खर्च का भार नही उठा पा रही है। वह लगातार सरकार से मदद की मांग  रही है। लेकिन उन्हें कोई मदद नही मिल पा रही है। रिजवाना सैफ़ी के हौसलों की उड़ान को देखते हुए देश तमाम युवाओ बेटे व बेटियों को प्रेरणा मिलती है। रिजवाना के पिता इंतजार अली अपनी बेटी को दुनिया की सबसे ऊँची चोटी पर भारतीय तिरंगा झंडा फहराते हुए देखना चाहते है उसके लिए वह रात दिन मेहनत कर रहे है। उनका कहना है कि उन्हें अपनी बेटी रिजवाना सैफ़ी पर बहुत गर्व है कि वह लगातार देश और क्षेत्र का नाम रोशन कर रही है।

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