० सुषमा भंडारी ०
नूतन वर्ष क्या लाया है
सोच- सोच मन घबराया है।
बीते वर्ष ने बहुत रुलाया
कोरोना का कहर है ढाया।
अब तक जूझ रहे सब इस से
जाकर कहें राम जी किस से।
तुम ही तो सब के रखवाले
तेरे खेल , हैं बहुत निराले।
नये वर्ष की सब को चाह्त
देना कोरोना से राहत।
खुशियाँ सारी स्वयंं आयेंगी
खामोशी भी टूट जायेगी।
अभी तो सहमे सहमे लोग
खुशियोँ के कर दो संजोग।
विनती करें हाथ जोड़ कर
रूठो न भगवन मुँह मोड़कर।
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