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कृषि कानूनों को लागू करने से निलंबित करना स्वागत योग्य,लेकिन स्थायी समाधान नहीं


० नूरुद्दीन अंसारी ० 

नयी दिल्ली - वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ॰ एसक्यूआर इलयास ने कहा, कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अच्छा है, क्योंकि इसने सरकार और किसानों के बीच किसी निर्णायक फैसले पर पहुंचे बिना एक के बाद चल रही बैठकों का गतिरोध तोड़ दिया है, लेकिन यह अंतरिम आदेश केवल एक अस्थायी राहत है, स्थायी समाधान नहीं।

उन्होंने किसानों के पक्ष में दिये गये मुख्य न्यायाधीश के बयान की सराहना की, जिसमें कहा गया है कि आजीविका के लिए विरोध-प्रदर्शन  करना वैध अधिकार है, लेकिन उन्होंने कहा कि बिना किसी व्यावहारिक प्रभाव के केवल मौखिक बयानों का कोई उद्देश्य नहीं है।

डॉ॰ इलयास ने हितधारकों (किसानों) से परामर्श के बिना एक समिति के गठन के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी आलोचना की और कहा कि समिति के सदस्यों का चयन संदिग्ध है, क्योंकि वे सभी कृषि कानून के समर्थक हैं। इस समिति से एक संतुलित रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए इसके सदस्यों को तत्काल खारिज कर दिया और तटस्थ सदस्यों का चयन किया जाए।

डॉ॰ इलयास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कानून पर रोक लगा सकता है, अगर वह पाता है कि (1) कानून विधायी क्षमता के बिना पारित किया गया है (2) कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है (3) कानून संविधान के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन करता है, विवादास्पद कृषि कानून इनमें से किसी आधार पर नहीं टिकता है।

डॉ॰ इलयास ने तकनीकी पहलू की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘जब कोई कानून संसद द्वारा बनाया जाता है, तो यह केवल संसद ही है जो उसके संचालन को एक अन्य कानून बनाकर निरस्त या निलंबित कर सकती है। उच्चतम न्यायालय इस कानून को अधिकारातीत घोषित कर सकता है और संसद को इसे निरस्त करने का निर्देश दे सकता है। डॉ॰ इलयास ने सुप्रीम कोर्ट को संविधान के संरक्षक के रूप में  निहित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अपनी जिम्मेदार भूमिका निभाते हुए विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को निर्देश देना चाहिए।

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