० संवाददाता द्वारा ०
भोपाल -इक्कीसवीं सदी के इक्कीसवें वर्ष में इक्कीसवीं और अति विशिष्ट तारीख को ‘’अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई’’ की काव्य गोष्ठी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० दुर्गा सिन्हा की अध्यक्षता और मुख्य अतिथि वरिष्ठ लघुकथाकार और उत्कृष्ट समीक्षक पवन जैन के सानिध्य में ‘देशभक्ति रचनाओं’ के साथ गूगल-मीट पर सम्पन्न हुई।
अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी प्रतिभागी रचनाकारों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए डॉ० दुर्गा सिन्हा ने कहा कि हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है,क्योकिं नयी पीढ़ी देशभक्ति से ओतप्रोत भाव लिये अपने दायित्व निभाने को तैयार खड़ी है। इस अवसर पर उन्होंने अपनी रचना “हमसे ही बना देश, मसे ही हिंदुस्तान है, देश का बच्चा-बच्चा अपने देश पर कुर्बान है’’ का पाठ किया।
मुख्य अतिथि पवन जैन ने अपने उदगार व्यक्त करते हुए विश्व मैत्री मंच के द्वारा संचालित गतिविधियों की प्रशंसा की और कहा कि वह मूलतः गद्य लेखन करते रहे हैं,पर उनका मानना है कि काव्य विधाओं में मनोभावों का अत्यंत खूबसूरत चित्रण होता है। उन्होंने कहा कि जो भी इन्सान अपना काम निष्ठापूर्वक करता है,चाहे वो जिस भी क्षेत्र में काम कर रहा हो, वो भी एक तरह से देश प्रेम का ही पर्याय है।
स्वागत वक्तव्य देते हुए संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने अतिथियों के भव्य व्यक्तित्व से परिचय कराते हुए कहा कि लिखने से पहले पुस्तकें पढ़ना ज़रूरी है। पढ़ने से लेखन में निखार आता है। मंच का संचालन,आभासी मंच पर सरस्वती पूजन और दीप प्रज्ज्वलन महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने किया। नविता जौहरी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और सुश्री जया केतकी ने आभार प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर आभा झा ने ‘जकड़ने न देंगे पकड़ने न देंगे’ शोभारानी तिवारी ने ‘मातृभूमि’ शीर्षक से ‘तेरी माटी चन्दन रज’ डॉ अंजुल कंसल कनुप्रिया ने तीन रंगों से रंगा तिरंगा लहर-लहर लहराये, नविता जौहरी ने ‘भारत की माटी है उर्वर’, शेफालिका श्रीवास्तव ने ‘शत-शत नमन मातृभूमि को’, माया बदेका ने ‘घर आया जोगी’ शीर्षक से ‘मैं फिर आऊँगा देश’,चरणजीत सिंह कुकरेजा ने ‘देश प्रेम जब रूह में जाता रच, छोटे-से इस शब्द का समझ आता सच’’,अनीता झा ने राष्ट्रभक्ति, देशभक्ति’ तथा जया आर्य ने ‘यह देश हमारा जिंदा है’ देशभक्ति के विभिन्न रंगों से भरी रचनाओं का पाठ किया।
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