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अखिल भारतीय साहित्य सदन के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी



कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी ०  

नोएडा,अखिल भारतीय साहित्य सदन के तत्वावधान में बाल दिवस तथा दीपावली के उपलक्ष्य में आयोजित ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आरम्भ दीप प्रज्वलन एवं कुसुम के अनुपम शारदा वंदन से हुआ। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ गीता गन्गौत्री ने किया।

शकुंतला मित्तल, गुरुग्राम का बाल कविता "मुन्नू था छोटा सा बच्चा" ने क्रियाशीलता में भी अनुशासन का संदेश दिया।मीरा कुमार मीरू नोएडा से बचपन का तुलनात्मक वर्णन बहुत सुंदर ढंग से किया। "नानी दादी को अतिथियों सा समझता बचपन" से आज की बदलती सोच को रेखांकित किया। रचना गोयल, फरीदाबाद से ने बहुत ही लय में सुंदर बाल गीत प्रस्तुत किया। वेद स्मृति गौड़,पुणे का संदेशप्रद बाल कविता के माध्यम से बड़ों को भी सन्देश दिया।

अंजू अग्रवाल रेवाड़ी से दीपावली पर रचना प्रस्तुत करके सबको मुग्ध कर दिया। आप की बाल ने बीता बचपन जीवंत कर दिया। सुनीता पूनिया, दिल्ली ने "पतंग बन नील गगन में उड़ जाना है" के माध्यम से सार्थक संदेश दिया।ओम प्रकाश ओम, समस्तीपुर, ने "बाल दिवस" पर हास्यमय ढंग से आगाज़ करके नेहरू जी पर भावपूर्ण रचना से सबको प्रभावित किया।  राजीव रंजन वर्मा, नोएडा ने बच्चों की वर्तमान स्थिति पर परिचय शीर्षक से विचारोत्तेजक रचना प्रस्तुत की।

डॉ अशोक कुमार मयंक, दिल्ली की "धुँधली सी कुछ यादें" रचना बहुत रोचक रही, बचपन के कान उमेठवाने से लेकर किशोरावस्था तक के प्रसंग बहुत शानदार रहे।  प्रो. शरद नारायण खरे, मंडला ने दीवाली पर भावपूर्ण दोहे प्रस्तुत करके मन मोह लिया। भावना गौड़ ने "आओ थोड़ा जी लेते हैं" से एक सार्थक संदेश देकर कार्यक्रम को सार्थक किया। डॉ राजीव पांडेय, ग़ाज़ियाबाद नें अपने मनोहारी गीत के माध्यम से बचपन की सैर बड़े मनोरंजक ढंग से करवाया। अर्चना गोयल ने बच्ची शीर्षक से बचपन में वापस लौटने की चाहत को अपनी रचना के माध्यम प्रस्तुत किया।

राजश्री गौड़, सोनीपत ,डॉ गीता गीता गंगोत्री ने शानदार संचालन करके कार्यक्रम को एक नई ऊंचाई प्रदान किया। साथ ही अत्यंत ओजस्वी बाल रचना से सबको रोमांचित किया। अपनी दीवाली रचना के माध्यम से सार्थक सन्देश प्रदान किया। कुसुम लता पुंडोरा ने "बच्चे सूरज चाँद सितारे" गीत से भाव विभोर कर दिया डॉ रामनिवास "इंडिया" ,दिल्ली ने दीवाली को 'बहुत बार आकर गई यह दिवाली' से नए बिंब प्रस्तुत कर सबको भाव-विभोर किया, साथ ही 'ऐसा दीप जले सलोना' गीत से सबको भाव विभोर किया। डॉ सुषमा भंडारी जो कि कार्यक्रम की मुख्य अतिथि भी थीं, अपनी "हमको जान से प्यारा है अपना वतन" से सभी को मंत्रमुग्ध किया तथा देशप्रेम की भावना को प्रज्वलित किया। उनके भारतीय पर्वों एवं संस्कृति पर आधारित रचना भी उत्प्रेरक थी। उनका बच्चों के लिए सन्देश गीत को सार्थक सन्देश देने वाला रहा।

कर्नल प्रवीण त्रिपाठी ने नीम हमारा रचना से सबको प्रकृति से जोड़ने का प्रयास किया। साथ ही "नेह की बाती लगा कर दीप की माला सजाएं" से श्रोताओं का मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आभार ज्ञापन के साथ इस शानदार काव्य गोष्ठी का समापन हुआ।

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