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संतोकबा दुर्लभ जी हाॅस्पिटल में हुआ सबसें छोटे बच्चे के सिवियर मल्टीसिस्टम इन्फलामेट्री सिण्ड्रोम का सफल उपचार

० आशा पटेल ० 

जयपुर, दुर्लभजी हाॅस्पिटल के वरिष्ठ षिषु रोग विषेषज्ञ डाॅ. अनुपम ने बताया की सीकर निवासी बाबा विनीत सिंह जो की मात्र 45 दिन की आयु में हाॅस्पिटल की ईमरजेन्सी विभाग में गंभीर अवस्था में लायें गये थे और गंभीर एम.आई.एस.सी से पीड़ित थे। उनका सफल उपचार करके परिवार की खुषियाॅ लौटाई। दुर्लभ जी के डाॅक्टरों ने बताया की बच्चें के जन्म के समय उसके दादा-दादी को कोरोना था। जिसके कारण बाद में उसकी दादी की तो मृत्यु भी कोरोना के कारण हो गई थी। इस वजह से बच्चा भी कोरोना संक्रमित हो गया था। लेकिन बच्चे ने कोरोना को तो हरा दिया पर उसके बाद होने वाले विपरित प्रभावों से नहीं बच सका। 

बच्चे को डी.पी.टी. को टीका तय समय पर लगवाया गया जिसके बाद से उसको बुखार आने लगा इसको अभिभावकों ने टीका लगने के बाद आने वाली सामान्य बुखार समझा और चिकित्सकीय उपचार करवाया और उसे सीकर के एक हाॅस्पिटल में भर्ती करवा दिया जहाॅ उसे कुछ दिनों तक एडमिट रखा व निमोनियां समझकर उपचार करते रहे। लेकिन जब बच्चें की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ तो उसे जयपुर के लिए रैफर कर दिया। बच्चें के माता पिता जयपुर में 1-2 हाॅस्पिटल में बच्चें को लेकर गये लेकिन बच्चें की गंभीर हालत देखकर उसे एडमिषन नहीं मिला। इस पर अपने किसी परिचित के कहने पर उन्होने दुर्लभ जी हाॅस्पिटल में डाॅ. रवि शर्मा को दिखाया। 

डाॅ. रवि शर्मा (चिकित्सक गहन चिकित्सा इकाई)ने बच्चे को देखकर तुरंत ही ईमरजेंसी में एडमिट किया व बच्चे की कुछ जाॅचें करवाई तो उसमें पता लगा की बच्चा कोरोना तो नेगेटिव है। लेकिन उसकी प्लस रेट ज्यादा है व सेचुरेषन भी बहुत कम है। बच्चें के आई.जी.जी. लेवल व ब्लड़ मार्कर भी ज्यादा है, साथ ही उसका हार्ट भी मात्र 20 प्रतिषत ही काम कर रहा था। इन सब बातों को देखने व बच्चें की पुरानी हिस्ट्री को लिंक करने के बाद बच्चे में मल्टी सिस्टम इन्फलोमेट्री सिण्ड्रोम बिमारी के साथ कार्डियोजेनिक शाॅक होने का पता लगा। 

डाॅ. रवि ने बताया की इस समय बच्चों में कोरोना के मामले बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे है। इन सब मामलों में बच्चे घर पर ही ठीक हो जाते है। कुछ मामालों में तो पता भी नहीं लगता की बच्चे को कोरोना हुआ भी था।  सामान्य तौर पर कोराना नेगेटिव आने के 3-4 सप्ताह तक तो कुछ नहीं होता लेकिन इसके बाद बच्चों में बुखार आ सकता है। हृदय में इन्फलामेट्री मार्कर बढ जाते है व शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करतें है। लेकिन विनित की हालत इन सबके साथ काफी जटील थी क्योंकि उसकी उम्र भी इस समय मात्र 45 दिन ही तो थी। 

बिमारी के उपचार के बारे में डाॅ. रवि ने बताया की हमने बच्चें को 6 दिन तक वेंटिलेटर पर रखा साथ ही ब्लड़ प्रेषर सर्पोट, आई. बी. इम्यूनोग्लोबिन कोर्स, स्टेराईड्स एंव ब्लड़ थीनर का उपचार दिया गया। बच्चें को इन्टेसिव केयर, आॅक्सीजन सपोर्ट पर रखा इसके बाद बच्चें का हार्ट 45 प्रतिषत काम करने लगा।  डाॅ. प्रवीण शर्मा हृदय रोग विषेषज्ञ ने बच्चे का समय-समय पर सिरियल इको करके उपचार में काफी सहायता करी।  अब बच्चा बिल्कुल ठीक है और मुह से दवाईयाॅ लेने के साथ ही  स्तनपान भी करने लगा है। इस अवसर पर बच्चे के पिता श्री प्रदीप सिंह  ने हाॅस्पिटल के डाॅक्टर्स व सभी स्वास्थ्यकर्मियों का आभार जताया। 

बच्चें को 11 मई को हाॅस्पिटल में एडमिट करवाया व 26 मई को स्वस्थ होने पर हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दि गई। उपचार करने वाली टीम में डाॅ. अनुपम चतुर्वेदी, डाॅ. रवि शर्मा, डाॅ. प्रविण शर्मा, रिति व समस्त पेडियाट्रिक युनिट के डाॅक्टर्स व नर्सीग का महत्वपूर्ण योगदान रहा।  इस अवसर पर श्री योगेन्द्र दुर्लभ जी, सचिव दुर्लभजी हाॅस्पिटल ने बताया की राजस्थान के चिकित्सा क्षैत्र में दुर्लभजी हाॅस्पिटल ने सदैव ऐतिहासिक कार्य किये है चाहे वह नई तकनीक व विषेषज्ञ डाॅक्टर्स लाने की बात हो या दुर्लभ बिमारियों के उपचार की बात हो सदैव ही हमने नये किर्तीमान राजस्थान के चिकित्सा इतिहास में रचकर सदैव जनसेवा की है। 

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