0 सुषमा भंडारी 0
एक पत्रकार हूँ मैं एक पत्रकार
शुद्ध साफ आईना हूँ मैं एक विचार
देखता हूँ आसपास फैली समाज में गंदगी
भावों की, आभावों की, प्रभावों की
नहीँ रोक पाता कलम को लिखता शब्द
धारदार
एक पत्रकार हूँ मैं, एक पत्रकार
सत्य को दर्पण बनाऊँ,
सच सबके समक्ष लाऊँ
जन जन के नजदीक जाऊं, मिटा पाऊँ
अंधकार
एक पत्रकार हूँ मैं, एक पत्रकार
निडर होकर काम करूँ मैं
रहूँ रिश्वत से दूर
पोल पट्टी उनकी खोलूँ
हैं जो मगरूर
मरने न दूँ कभी आत्मा, करूँ न मैं व्यापार
एक पत्रकार हूँ मैं एक पत्रकार
शुद्ध साफ आईना हूँ, मैं एक विचार
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