होली खेलूँ बनवारी तोरे संग
होली खेलूँ बनवारी
लाल, पीला गुलाल उडाई लूँ
श्याम तेरे गालो पे लगाई लूँ
मारूँ तोरे पिचकारी
तोरे संग होली खेलूँ बनवारी
आज पितांबर तोहे न सोहे
वसन तोरा रंगीला,
क्यों न कर दूँ तोहे नीला
होली खेलूँ बनवारी तोरे संग
होली खेलूँ बनवारी
चुनरी की ओट से छिप-छिप तांकूँ
तुझे सांसो और धडकन से बाचूँ
तू है मोरे रंगीलो, मुरारी
होली खेलूँ बनवारी
आज का दिन है बड़ा निराला
रंग मोपे डाले बाँसुरी वाला
चुनरी भिगोए, खड़ा मुस्काए
नटखट है ये कैसो नंदलाले
छिप छिप मैं भी नयन लड़ाऊँ
होली के बहाने तोसे प्रीत बढ़ाऊँ
तू है मोरे रंगीलो मुरारी
होली खेलूँ बनवारी
आजा तोहे गुजिया खिलाऊँ
प्यार से तोहे खूब रिझाऊँ
रंग तो पे प्रेम का ऐसा डालूँ
भीगे त्रिपुरारी ,झूमे दुनिया सारी
मै तो भीगी रंग मे तेरे
मोहे कैसे बिसराओ बिहारी
होली खेलूँ बनवारी तोरे संग
होली खेलूँ बनवारी
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