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माटी संस्था ने भव्य समारोह में किया पत्रकार एवम साहित्य जगत की विभूतियों का सम्मान

० आशा पटेल ० 

"हम कहीं भी रहें और कितने ऊंचे स्थान पर पहुँच जाएँ हमें अपनी माटी और अपनी जन्मभूमि को नहीं भूलना चाहिए कि ये ऐसा कर्ज है जो अदा हो ही नहीं सकता। हिंदी, उर्दू, अवधी व भोजपुरी भाषाओं में कविताओं का यह अनूठा संकलन इसी जज्बे को समर्पित है"

नयी दिल्ली - पूर्वांचल धर्म, ज्ञान, कला, संस्कृति, शौर्य और बलिदान की धरती है। यहाँ की माटी बड़ी उर्वर है, इस धरती ने ऐसी हस्तियों को जन्म दिया है जिन पर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को गर्व है। माटी काव्य संग्रह ऐसी ही कुछ विभूतियों और कुछ नए लिखने वालों को संजोये हुए है, यह अपनी माटी से और अपनी जन्म भूमि से हमारे प्रेम और कृतज्ञता का परिचायक भी है। यह विचार मुख्य अतिथि भारत सरकार में भारी उद्योग मंत्री, डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय ने आसिफ़ आज़मी द्वारा सम्पादित पूर्वांचल के 108 कवियों कवयित्रियों के जीवन परिचय और रचनाओं के संकलन "माटी" के विमोचन समारोह में व्यक्त किये।

 उन्हों ने कहा कि कोई भी साहित्य जब माटी से जुड़ा होता है तो उसका महत्व और व्यापकता बढ़ जाती है। कार्यक्रम का आयोजन पूर्वांचल की कला, साहित्य, लोक संस्कृति और भोजन को समर्पित "माटी" संस्था द्वारा किया गया। पिछले चार वर्षों में चार भव्य वार्षिक "माटी" पूर्वांचल महोत्सव का आयोजन किया गया है जिस में दिन भर पूर्वांचल के उत्पादों की प्रदर्शनी से ले कर वहां की विभूतियों के सम्मान और मेधाओं की कला की प्रस्तुति की जाती है। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बड़ी संख्या में दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले पूर्वांचल वासियों के अलावा पूर्वांचल के सांसद, विधायक और ब्यूरोक्रेट्स ने भाग लिया जिनमे अतिथि भारत सरकार में भारी उद्योग मंत्री, डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय, भारत सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल, बलिया सांसद वीरेंदर सिंह मस्त, अयोध्या सांसद लल्लू सिंह, प्रयागराज सांसद रीता बहुगुणा जोशी, जौनपुर सांसद श्याम सिंह यादव, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, भारत सरकार में शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, विधायक दिलीप पांडेय आदि शामिल थे। संचालन प्रखर मालवीय कान्हा ने किया।

विशिष्ट अतिथि भारत सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि देश और दुनिया कहीं भी चले जाएं, एक मिनी पूर्वांचल मिल जायेगा और ऐसा यहाँ की कला और संस्कृत के कारण है जो मन भावन और लुभावन तो है ही, लोगों को जोड़ने का भी काम करती है। इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माटी के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि माटी काव्य संग्रह प्रकाशन और संपादन के मानकों पर खरा उतरता है। यह तीनध्चार पीढ़ियों के काव्य-रचना और इतिहास को संकलित करने जैसा है। भविष्य में माटी की कोशिश रहेगी कि पूर्वांचल की कलाओं पर ऐसे ही कुछ सकारात्मक कार्य किया जाये।

सांसद वीरेंदर सिंह मस्त ने कहा कि पूर्वांचल वीरों और क्रांतिकारियों की धरती है। यह गौरव भी पूर्वांचल को प्राप्त है कि 1947 में देश की आजादी से पांच वर्ष पहले ही बलिया आजाद हो गया था। सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि देश की सांस्कृतिक राजधानी अयोध्या भी पूर्वांचल में ही है, पूर्वांचल और अयोध्या के लिए उनका जीवन समर्पित है।
रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि माटी काव्य संग्रह पूर्वांचल की भाषाई और साहित्यिक विरासत को संजोने की एक बड़ी पहल है, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये काम है। सांसद श्याम सिंह यादव ने काव्य संग्रह में शामिल कवियों को बधाई देते हुए कहा कि शीघ्र ही जौनपुर में माटी के कवियों का एक समागम रखा जायेगा।

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि माटी से प्रेम धर्म भी है और कर्म भी। हम कहीं भी रहें और कितने ऊंचे स्थान पर पहुँच जाएँ हमें अपनी माटी और अपनी जन्मभूमि को नहीं भूलना चाहिए कि ये ऐसा कर्ज है जो अदा हो ही नहीं सकता। हिंदी, उर्दू, अवधी व भोजपुरी भाषाओं में कविताओं का यह अनूठा संकलन इसी जज्बे को समर्पित है। भारत सरकार में सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि माटी काव्य संग्रह में कुछ उभर चुके सितारे हैं और कुछ उभरते हुए, इसमें 1930 की आयु की वरिष्ठ कवि से लेकर 2002 के पैदा युवा कलमकार तक सम्मिलित हैं, यह कुछ साहित्यिक आकाशगंगा स्वरुप है जो अपने आप में अद्भुत कार्य है।

सहित्यकार और विधायक दिलीप पांडेय ने माटी संस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि माटी न केवल लोगों को जोड़ने और साहित्य व कला को समर्पित है बल्कि पूर्वांचल के लोगों की यथासंभव सहयोग से भी पीछे नहीं है।
पुस्तक के संपादक आसिफ़ आज़मी ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के बीच जब पूरा विश्व समुदाय अवसाद से गुजर रहा था, ‘‘माटी‘‘ संस्था ने पूर्वांचल के कवियों को ट्विटर स्पेस की काव्य गोष्ठियों में जोड़ा जिस से उन्हें अपने लोगों के समक्ष प्रस्तुति का एक आधुनिक प्लेटफार्म भी मिला और आम जान को एक साफ सुथरा मनोरंजन भी। ‘‘माटी काव्य संग्रह‘‘ विशेषकर उन्हीं कवियों पर आधारित है।
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