0 सुषमा भंडारी 0
वधपति श्री राम ने
ऐसा मारा तीर
पल में धूमिल हो गई
रावण की जागीर
रावण की जागीर
धराशाही है लंका
फैली है मुस्कान
बजा है सच का डंका
कहती सुषमा सत्य
सच समय की है गति
घट घट वासी प्रभु
हैँ श्री राम अवधपति ।।।
आज अयोध्या गा रही
शुभ - मंगल के गीत
आज राम घर आ गये
सीता के मनमीत
सीता के मनमीत
हमारे पालनहारा
जगमग दीपों से सजा
मन - मन्दिर औ द्वारा
सुषमा की है आरजू
एक यही फरियाद
राम के संग सत्य भी
फ़िर से लौटे आज।
==============
उर में संचित क्रोध को
कर ले शीतल नीर
अपने संग में और की
हर लेगा तू पीर
डूब रहे जो लोभ में
तोड़ रहे विश्वास
समझे जीवन मृत्यु सम
नहीं कोई आभास
हर युग में आते रहे
जरासंध जयचंद
रावण महाज्ञानी था
बुद्धि हो गई मंद
एक टिप्पणी भेजें
Click to see the code!
To insert emoticon you must added at least one space before the code.